प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में नोवल कोरोना वायरस (COVID-19) संक्रमित लोगों की बढ़ती संख्या और सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न सुरक्षात्मक उपायों के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगामी 6 अप्रैल तक राज्य में किसी भी प्रकार की वसूली पर रोक लगा दी है। सभी तरह की वित्तीय संस्थाओं, बैंकों और सरकारी विभागों पर यह आदेश प्रभावी होगा। दो सप्ताह तक कोई नीलामी प्रक्रिया भी नहीं होगी। किसी के भी मकान का ध्वस्तीकरण नहीं होगा। किसी को भी उसके मकान से बेदखल नहीं किया जाएगा। जिला प्रशासन एवं अर्ध न्यायिक संस्था किसी भी अधिकारी को पेशी के लिए तलब नहीं करेंगी।
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने बुधवार को दर्पण साहू की बैंक वसूली के खिलाफ दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। साथ ही राज्य सरकार, सभी वित्तीय संस्थाओं और अधिकारियों को दो सप्ताह तक वसूली मामले में व्यक्तिगत उत्पीड़न नहीं करने को भी कहा। अदालत ने कहा कि किसी को इस तरह विवश नहीं किया जाएगा कि वह कोर्ट की शरण में आने को बाध्य हो।
इससे पहले हाई कोर्ट ने 17 मार्च को कोरोना वायरस संकट को देखते हुए मुकदमों की सुनवाई की व्यवस्था नए सिरे से तय की थी। इसके अनुसार 18 और 19 मार्च को प्रकाशित होने वाली सूची अब 30 और 31 मार्च को सुनी जाएगी जबकि 20 और 21 मार्च को सुनवाई की तय तारीख वाले मुकदमे एक और तीन अप्रैल को सुने जाएंगे। इसी प्रकार 18 से 21 मार्च तक अतिआवश्यक मुकदमे ही अतिरिक्त वादसूची में प्रकाशित किए जाएंगे। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने 17 मार्च को देर शाम यह आदेश जारी किया है।