नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO, ईपीएफओ) ने ऑनलाइन नाम बदलने और प्रोफाइल में बड़े बदलाव संबंधी गाइडलाइन में बड़ा बदलाव किया है। धोखाधड़ी को रोकने के लिए उठाए गए इस सख्त कदम के तहत ईपीएफओ सदस्य अब बिना डॉक्यूमेंट ऑनलाइन नाम नहीं बदल सकेंगे। प्रोफाइल में भी बड़े बदलाव नहीं किए जा सकेंगे। जांच के बाद ही इस तरह के बदलाव किए जा सकेंगे। देश में ईपीएफओ के 6 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं।

ईपीएफओ का कहना है कि भविष्य निधि खाते के प्रोफाइल में ऑनलाइन सुधार या बदलाव करने के कारण कई बार रिकॉर्ड में मिसमैच की संभावना रहती है जिससे धोखाधड़ी का डर रहता है। केवाईसी (KYC) के नाम पर फ्रॉड कर धनराशि निकालने के कई मामले सामने आए हैं। इसी को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।

नई गाइडलाइन के अनुसार अब बिना डॉक्यूमेंट के पीएफ अकाउंट में सदस्यों का ब्योरा नहीं बदलेगा। हालांकि, नाम में छोटे बदलाव की अनुमति है लेकिन किसी भी बड़े बदलाव से पहले अब ईपीएफओ डॉक्यूमेंट्स चेक करेगा। उसके बाद ही प्रोफाइल में किसी तरह का बदलाव हो सकेगा। ईपीएफओ ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों और सदस्य संस्थाओं को कहा है कि वे किसी डॉक्यूमेंट प्रूफ के बिना किसी भी कर्मचारी के रिकॉर्ड में सुधार नहीं करें।

छोटे बदलाव : अगर किसी नाम, उपनाम में बिना पहला लेटर बदले सुधार किया जाता है तो इसे छोटा बदलाव माना जाएगा। अगर मिडिल नाम या विवाह के बाद सरनेम में बदलाव करना है तो आधार कार्ड में दिए गए नाम के आधार पर ही बदलाव होगा।

बड़े बदलाव : नाम में पूरा बदलाव करने की अनुमति नहीं होगी। हालांकि, विशेष परिस्थितियों में इसे नियोक्ता द्वारा विस्तृत जानकारी दिए जाने और प्रूफ सबमिट करने के बाद बदला जा सकेगा। पीएफ अकाउंट में नाम, जन्मतिथि, नॉमिनी, पता, पिता या पति के नाम में बड़े बदलाव नियोक्ता और अंशधारकों के डॉक्यूमेंट प्रूफ को देखने के बाद ही होंगे।

केवाईसी में ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में बदलाव को तभी सही माना जाएगा, जब अंशधारक के डॉक्यूमेंट अपलोड होंगे। अगर कोई संस्था बंद हो चुकी है तो डॉक्यूमेंट्स के साथ सैलरी स्लिप, नियुक्ति पत्र और पीएफ स्लिप दिखानी होगी।

ईपीएफओ ने क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिया है कि सबमिट किए गए प्रूफ को संभाल कर रखना है और ऑडिट के समय इसे उपलब्ध कराना होगा।

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