नई दिल्ली। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC, ईएसआईसी) के लाभार्थियों को अब मेडिकल परामर्श के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। अगर ईएसआईसी की सुविधा 10 किलोमीटर से ज्यादा दूर है तो वे इमपैनल्ड अस्पताल में जाकर डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। साथ ही ईएसआईसी अपने नए अस्पतालों का कामकाज खुद देखेगा ताकि बेहतर सेवाएं दी जा सकें।
श्रम और रोजगार राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में रविवार को हुई ईएसआई बोर्ड की 183वीं बैठक में कर्मचारियों को मेडिकल सुविधाएं और दूसरे फायदे पहुंचाने के लिए कई फैसले लिये गए। श्रम मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि अगर राज्य सरकार अस्पताल चलाने पर जोर देती है तो सभी नए अस्पतालों और भविष्य में बनने वाले सभी अस्पतालों का संचालन ईएसआईसी खुद करेगा। यह फैसला कर्मचारियों/श्रमिकों की मांग पर लिया गया है।
बैठक में सबसे महत्वपूर्ण फैसला यह हुआ कि 10 हुआ कि किलोमीटर के दायरे में जहां पर ईएसआईसी की सुविधाएं मौजूद नहीं हैं, लाभार्थी ईएसआईसी से इमपैनल्ड किसी भी निजी अस्पताल में जाकर मेडिकल परामर्श ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें ईएसआईसी अस्पताल या डिस्पेंसरी से रेफरल लेने की जरूरत नहीं होगी। ऐसे मामलों में अगर इनडोर इलाज की जरूरत होती है तो इमपैनल्ड अस्पताल ईएसआईसी से ऑनलाइन मंजूरी लेगा। ईएसआईसी बोर्ड के मुताबिक दिल का दौरा पड़ने (heart attack) जैसी बीमारियों में तत्काल इलाज की जरूरत पड़ती है। ऐसे में ईएसआईसी अस्पताल जाकर मरीज को रेफर कराना संभव नहीं होता है। इसी को इसी को ध्यान में रखते हुए यह फैसला हुआ है।
बयान में कहा गया है कि कार्डियोलॉजी (Cardiology), नेफ्रोलॉजी (nephrology), यूरोलॉजी (urology) और ऑनकॉलॉजी (oncology) में सुपर स्पेशिएलिटी सर्विसेज भी दिल्ली-एनसीआर के कुछ चुनींदा ईएसआईसी अस्पतालों में शुरू होगी। इसके बाद इन्हें बाकी ईएसआईसी अस्पतालों में चरणबद्ध तरीक से बढ़ाया जाएगा।
ईएसआईसी अंशधारक आपात स्थिति में इलाज के लिए पैनल में शामिल या अन्य निजी अस्पतालों में जा सकते हैं। जहां पैनल में शामिल अस्पतालों में इलाज कैशलेस (cashless) होगा, वहीं अन्य निजी अस्पतालों में इलाज के खर्च का भुगतान कर उसे बाद में प्राप्त किया जा सकता है। इसकी इलाज की दरें सरकारी स्वास्थ्य सेवा दरों के अनुरूप होंगी।