बरेली@BareillyLive. इस्लाम और शरीयत के अनुसार डीजे और नाच-गाना इस्लाम में हराम है। शरीयत के खिलाफ है। मुसलमान शरीयत के खिलाफ कोई काम न करें और धार्मिक जुलूसों में डीजे और नाच-गाने से परहेज करें। यह फतवा आज “चश्मए दारूल इफ्ता बरेली“के हैड मुफ्ती मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने जारी किया है।
उन्होंने फतवा जारी करके कहा कि आजकल कुछ मुस्लिम नौजवान धार्मिक जुलूसो जैसे जुलूस-ए-मोहम्मदी और उर्स के दिनों में डिजे का खूब इस्तेमाल करते हैं। डीजे के गाने-बाजे पर नात शरीफ की आवाज पर हाथो में रुमाल लेकर लहराते हुए डांस करते हैं। ये तमाम कार्य शरीयत की नजर में नाजायज और हराम हैं।
मौलाना शाहबुद्दीन ने ये फतवा जिला बहराइच के गांव सैदापुर निवासी निहाल रजा अंसारी के दारूल इफ्ता से पूछे गए सवाल पर दिया गया है। फतवे में कहा गया है कि शारियत ने गाने, बाजे और डांस वाली चीजों को शौतानी अमल बताया है। मजहबी जुलूसों में डिजे की आवाज पर थिरकने, रुमाल हवा में लहराने, हुल्लड़बाजी का चलन बढ़ता जा रहा है, जो शख्त हराम और नाजायज है।
फतवे में कहा गया है कि इस तरह के गेर शराई काम करने वाले अपने गुनाहों से तौबा करें और नाजायज और हराम काम से दुरी बनाए रखें। अगर बाज न आए तो मुसलमानो पर लाजिम है कि ऐसे लोगो को हरगिज अपने धार्मिक जुलूसो में शिरकत न करने दें। अगर कोई शख्स बजिद होकर डीजे लेकर आता है तो उसको जुलूस से बाहर कर दें।
मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने अलैहेदा एक बयान में कहा कि जुलूसे मोहम्मदी बहुत पाकीजा और सफाई और सुथराई वाला दिन है। उस दिन पूरी दुनिया को पैग़म्बरे इस्लाम के अमन व शांति वाले पैगाम को दुनिया के सामने पहुंचाया जाना चाहिए। कोई भी कार्य ऐसा न करें जो नाजायज व हराम हो, और उनके काम से पैग़म्बरे इस्लाम नाराज हां। हमें कयामत के दिन खुदा व रसूल को मुंह दिखाना है।