तीन तलाक – हलाला के खिलाफ आवाज उठाने वाली निदा खान इस्लाम से खारिज, हुक्का पानी बंद

बरेली। तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह का विरोध करने पर सुर्खियों में आयीं निदा खान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दो दिन पूर्व हमले हुए हमले के बाद अब दरगाह-ए-आला हजरत के दारुल इफ्ता ने निदा खान को इस्लाम से खारिज कर दिया है। मुफ्ती खुर्शीद आलम ने दरगाह से फतवा लिया और उलेमा ने तस्दीक के बाद निदा खान जैसी शरीयत की मुखालफत करने वाली तमाम मुस्लिम महिलाओं को इस्लाम से खारिज करने का ऐलान कर दिया है।

बता दें कि निदा खान आला हजरत खानदान की बहू रही हैं। निदा को शौहर शीरान रजा खां ने तीन बार तलाक बोलकर अलग कर दिया। तभी से निदा मामले को लेकर कोर्ट में केस लड़ रही हैं। उन्होंने अपनी लड़ाई को तीन तलाक पीड़िताओं की लड़ाई बना लिया। इसी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।

दोबारा इस्लाम में आने के लिए करनी होगी तौबा

शहर जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने दरगाह आला हजरत के दारुल इफ्ता मदरसे से फतवा मांगा, जिसमें सवाल किया गया कि शरीयत की मुखालफत करने वालों के लिए क्या हुकुम है। दारुल इफ्ता के उलेमा ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि शरीयत की मुखालफत करने वालों से मुसलमान हर तरह के रिश्ते तोड़ दें, उनके घर आना-जाना बंद करें, शादी जैसे प्रोग्राम में न जाएं, न साथ बैठें और न ही बैठाएं। यहां तक कि ऐसे लोगों के जनाजे में जाना भी गुनाह है और उनसे वास्ता रखना भी शरीयत के खिलाफ है।

ऐसे लोगों को हुक्का पानी बंद कर इस्लाम से खारिज करने का हुक्म है। मुफ्ती खुर्शीद आलम ने कहा है कि निदा खान ने शरीयत और हदीस की मुखालफत की है इसलिए वह इस्लाम से खारिज हो गई हैं। अब उन्हें दोबारा से इस्लाम में आने के लिए तौबा करनी होगी। तभी उनके गुनाह माफ होंगे।

अब मैं सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करूंगी फतवा को : निदा खान

इस फतवा के बाद निदा खान ने कहा इस्लाम पर किसी का कॉपीराइट नहीं है। इस्लाम किसी का ट्रेडमार्क नहीं, किसी का कॉपीराइट नही है। संविधान ने हमें अपना अधिकार दिया है। उन्होंने कहा कि जिस आला हजरत खानदान में उनकी शादी हुई उसी खानदान में 14 तलाक, तीन तलाक के हैं।

निदा खान ने कहा है कि फतवा देने वाले पहले यह बताएं कि यह वैध है या अवैध। सुप्रीम कोर्ट ने फतवों पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद ऐसे फतवे जारी किए जा रहे हैं। अगर उन्हें फतवे ही देने हैं तो सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लाकर फतवे दें। ऐसे फतवों को अब मैं सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करूंगी। मुझे इस्लाम से खारिज करने वाले यह होते कौन है।

उलेमा बोले- फरहत नकवी सुन्नी मुसलमान नहीं

शहर जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने कहा है कि शरीयत की मुखालफत करने वाले उन्हीं लोगों पर यह फतवा लागू होगा, जो सुन्नी मुसलमान है। शिया समुदाय के लोगों से हमारा कोई वास्ता नहीं है। इसलिए यह फतवा उनके लिए नहीं है फरहत नकवी मुसलमान नहीं है, इसलिए हम उसके बारे में अभी कुछ नहीं कहेंगे।

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