कानपुर। उत्तर प्रदेश पुलिस की छवि को तार-तार कर देने वाले बिकरू कांड के खलनायक और गैंगेस्टर विकास दुबे की एनकाउंटर में मौत को लेकर आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। इस बीच उज्जैन से आते समय वाहन पलटने के बाद हुई मुठभेड़ से जुड़ी घटनाएं भी सामने आ रही हैं। एनकाउंटर से पहले विकास दुबे ने यूपी एसटीएफ के क्षेत्राधिकारी (सीओ) तेज बहादुर सिंह के सीने पर फायर किया था पर बुलेटप्रूफ जैकैट ने उनकी जान बचा ली। इसके बाद कई पुलिसकमियों ने विकास पर गोलियां चलाईं जिससे वह घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा। ये बातें तेज बहादुर सिंह की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर से सामने आई हैं।
एसटीएफ के सीओ तेज बहादुर सिंह द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में इस बात का भी जिक्र है कि उज्जैन से कानपुर लाते समय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विकास दुबे की गाड़ियां बदली जा रही थी। जिस गाड़ी का हादसा हुआ उसका नंबर UP 70 AG 3497 है। इस गाड़ी में इंस्पेक्टर रमाकांत और सिपाही प्रदीप कुमार के बीच में विकास दुबे को बैठाया गया था। एसटीएफ के अन्य जवान दो अन्य वाहनों में बैठे थे। वाहन पलटने के बाद विकास दुबे इंस्पेक्टर रमाकांत की पिस्टल लेकर भागा था।
एफआईआर में कहा गया है कि बाराजोर टोल प्लाजा पार करने के बाद तेज बारिश होने लगी और कानपुर नगर लगभग 25 किलोमीटर बाकी रह गया था। उसी दौरान जानवरों का झुंड भागता हुआ सड़क पार करने लगा। विकास दुबे जिस वाहन में था, उसका ड्राइवर नियंत्रण खो बैठा और वह पलट गया। मौके का फायदा उठाते हुए विकास दुबे इंस्पेक्टर रमाकांत की पिस्टल छीनकर वाहन के पिछले दरवाजे से भाग निकला। पुलिसकर्मी उसके पीछे दौड़े पर वह उन पर गोलियां बरसाने लगा। इसी दौरान उसने सीओ तेजबहादुर सिंह पर फायरिंग कर दी और गोली उनके सीने पर लगी।
बिकरू में सीओ समेत 8 पुलिसकर्मियों हुए थे शहीद
गौरतलब है कि कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे और उसके गुर्गों ने छापा मारने आई पुलिस टीम पर घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में सीओ समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे जबकि कई घायल हुए थे। इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने विकास दुबे गिरोह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू और गैंगेस्टर के कई साथियों को एनकाउंटर में मार गिराया। बिकरू कांड के 6 दिन बाद विकास दुबे उज्जैन में पकड़ा गया। उसे वहां से कानपुर लाते समय पुलिस का वाहन पलट गया और भागने के प्रयास के दौरान हुए एनकाउंटर में वह मारा गया।