बरेली, 23 जनवरी। प्रिन्स हैमलेट के सामने टीम में तालमेल की कमी से फेल साबित हुए कलाकार और अंततः निकाल दिये गये। कलाकारों के जीवन संघर्ष का ऐसा ही सफल मंचन मुम्बई के कलाकारों ने यहां थिएटर फेस्ट में किया। हालांकि इसमें संघर्ष के दिनों में भी हंसी का माहौल बनाये रखा जा सकता है यह भी बड़ी कुशलता से दर्शाया गया।
फायर्ड बाई हैमलेट नामक नाटक का शानदार मंचन दयादृष्टि रंगविनायक रंगमंडल द्वारा विण्डरमेयर में चल रहे थिएटर फेस्ट में शनिवार शाम किया गया। यह मंचन किया मुंबई के थिएटर गैराज ग्रुप के कलाकारों ने। निर्देशन माइकल मोरिट्ज ने किया था। के निर्देशित नाटक में कलाकारों ने दिल को छू लेने वाली प्रस्तुति दी।
नाटक की कहानी घुमंतू थिएटर कलाकारों के एक समूह द्वारा किये जाने वाले संघर्ष की कहानी थी। मुश्किलों के दौर से गुजर रहे कलाकारों के पास न कोई शो थे और न ही निर्वाह के लिए पैसे। उन्होंने हेलसिंगर में अपना भाग्य आजमाने की सोची। उन्हें पता चला कि डेनमार्क के प्रिंस हैमलेट अपने दरबार के लिए एक थिएटर कंपनी तलाश रहे हैं।
इससे कलाकार रोमांचित होने के साथ ही घबराते भी हैं। तमाम आशंकाएं अपनी प्रस्तुति की सफलता और असफलता के मध्य जन्म लेती हैं। अलबत्ता एक चांस लेने का निर्णय लेकर अपनी उम्मीद और आशंका लिये वे डेनमार्क पहुंच जाते हैं। वहां पेट भरने से लेकर पैसे कमाने तक का संघर्ष दिखाया गया। संघर्षरत कलाकारों के आपसी हंसी-मजाक ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। वे अपनी उम्मीदें, महत्वकांक्षाएं और डर बांटते दिखाई दिए। आपसी द्वंद्व भी देखने को मिला। खुद को साबित करने का जतन करते रहे, लेकिन प्रस्तुति को लेकर तालमेल नहीं बैठ पाया। अंत में जब प्रिंस के सामने प्रस्तुति दी तो फेल साबित हुए।
इस मौके पर डॉ. ब्रजेश्वर सिंह, डॉ. गरिमा सिंह, शिखा सिंह, शिवानी रेखी, डॉ. शालिनी अरोरा, डा. गौरी शंकर शर्मा आदि समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे।