पहली नक्षत्र वाटिकाबरेली। शहामतगंज स्थित साईं मंदिर एक बार फिर चर्चा में है। इस बार भी चर्चा कुछ नये कार्य को लेकर है। यहां एक प्राकृतिक नक्षत्र वाटिका बनायी गयी है। यह बरेली की पहली नक्षत्र वाटिका है, श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही है। वाटिका में 27 नक्षत्रों में से 24 के प्रतीक पौधे लगाए गए हैं। इस मंदिर में पहले से ही हिंदू संस्कृति और ज्योतिष पर आधारित नवग्रह वाटिका स्थापित है।

मंदिर के सर्वराकार पं. सुशील पाठक ने बताया कि नक्षत्र वाटिका के पौधे कई जगह से लाकर लगाये गये हैं। कहा कि नक्षत्र वाटिका के पौधे एक. करना एक बहुत ही जटिल कार्य है। इसमें कई पौधे दुर्लभ होते हैं। ऐसे में उनको तलाश करना खासा जटिल होता है। अब पौधे लग गए हैं तो लोग उनको देखने, पूजा करने आते हैं।

नवग्रह समिधा

1- मंदार-सूर्य की समिधा 2 -पलास(ढाक) सोम ग्रह की समिधा 3-खैर-मंगल ग्रह की समिधा 4-अपामार्ग-बुध ग्रह की समिधा 5-पीपल -बृहस्पति ग्रह की समिधा 6 -गूलर-शुक्र ग्रह की समिधा 7- शमी-शनि ग्रह की समिधा 8 -दूर्बा- राहू ग्रह की समिधा 9 कुश /अश्वगंधा- केतू ग्रह की समिधा।

नक्षत्र बाटिका यानी 27 नक्षत्रों के पेड़ पौधे –

1- अश्विनी नक्षत्र-कुचला

2- भरणी नक्षत्र दृ आंवला

3-कृतिका नक्षत्र दृ गूलर

4 -रोहिणी नक्षत्र दृ जामुन

5- मृगशिरा नक्षत्र दृ खैर

6- आर्द्रा नक्षत्र दृ कृष्णगुरु/ शीशम

7- पुनर्वसू नक्षत्र -बांस

8- पुष्य नक्षत्र -पीपल

9 अश्लेखा नक्षत्र- नागकेसर

10 -मघा नक्षत्र- बरगद

11- पूर्वा फालगुनी नक्षत्र- पलास

12- उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र-कनेर/ पाकर

13- हस्त नक्षत्र- रीठा /चमेली

14- चित्रा नक्षत्र- बेल

15 दृ स्वाति नक्षत्र- कांहा/ केहि/ अर्जुन

16- बिसाखा नक्षत्र- कैंथ/ कटाई/ विंककट

17- अनुराधा नक्षत्र- मौल श्री

18- ज्येष्ठा नक्षत्र- चीड/ सेंवर/ शालमली

19- मूल नक्षत्र- साल/ सखूआ

20- पूर्वाषाढा नक्षत्र- जलवेलस/ वैंत

21- उत्तराषाढा नक्षत्र -कटहल

22- श्रवण नक्षत्र- आँकड़ा/ आंक (मंदार )

23- धनिष्ठा नक्षत्र- शमी (छांकर)

24- शतभिषा- कदंब

25- पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र-आम

26 उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र-नीम

27- रेवती नक्षत्र- महुआ।

पूजन सामग्री बाटिका –

पान, सुपारी,लौंग,इलायची,जायफल,लाल चंदन,सफेद चंदन,रुद्राक्ष, कपूर, सिन्दूर आदि।

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