लखनऊ। उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में सहायक शिक्षक के 69000 पदों पर भर्ती में एक बार फिर पेच फंस गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस याचिका में हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने या उसे रद्द करने की मांग की गई है। इससे पहले राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दाखिल की गई जिसमें कहा गया है कि शीर्ष अदालत उसका पक्ष सुने बिना इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर कोई आदेश जारी न करे।

इस मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसला सुनाने के बाद राज्य में बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में सहायक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की बड़े पैमाने पर होने वाली भर्ती लटकी हुई थी। ऐसा कटऑफ मार्क्स से संबंधित विवाद के कारण था।  इस मामले में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के कटऑफ बढ़ाने के फैसले को सही बताया था। साथ ही इस भर्ती प्रक्रिया को तीन महीने के अंदर पूरा करने का आदेश भी दिया है।

उत्तर प्रदेश में बीते वर्ष शिक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित हुई थी जिसमें चार लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इस परीक्षा के बाद राज्य सरकार ने शासनादेश दिनांक 7 जनवरी 2019  द्वारा सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा हेतु न्यूनतम उत्तीर्णांक घोषित किया, जिसमें सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के संबंध में उत्तीर्णांक 65% अर्थात 97/150  और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति हेतु उत्तीर्णांक  60% अर्थात 90/150  निर्धारित किया गया। सरकार के इस फैसले को शिक्षा मित्रों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा  के न्यूनतम उत्तीर्णांक 40 और 45 प्रतिशत के आधार पर परीक्षाफल घोषित किए जाने का निर्णय पारित किया गया। राज्य सरकार ने इस फैसले को चुनौती दी। पुनः सुनवाई में हाईकोर्ट ने 6 मई को राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने  शासनादेश दिनांक 7 जनवरी 2019 को नियमानुसार मानते हुए 60 एवं 65 प्रतिशत न्यूनतम उत्तीर्णांक  के आधार पर परीक्षाफल घोषित किए जाने का आदेश पारित किया।

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