लखनऊ। (Politics on the arrest of Vikas Dubey) कानपुर में पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपित गैंगेस्टर विकास दुबे को लेकर शुरू हुई राजनीति गुरुवार को उसकी गिरफ्तारी के बाद “सरपट दौड़ी”। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उज्जैन में हुई इस गिऱफ्तारी पर सवाल उठाते हुए इसे फिक्स सरेंडर बताया है। और तो और शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र के परिवार ने भी इस गिरफ्तारी को लेकर सवाल दागे हैं।
विकास दुबे इस जघन्य कांड के 6 दिन बाद पकड़ा गया। पुलिस उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से उसकी गिरफ्तारी बता रही है। विकास दुबे को गिरफ्तार करने के लिए यूपी पुलिस देश के कई राज्यों में खाक छान रही थी। 2 दिन पहले वह फरीदाबाद में दिखा था। यूपी पुलिस के संपर्क किए जाने के बाद मध्य प्रदेश पुलिस भी अलर्ट पर थी। उसके बाद भी सभी के दावों को विकास दुबे ने हवा निकाल दी है। उज्जैन पुलिस भले ही दावा कर रही है कि विकास को उसने गिरफ्तार किया है लेकिन प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि विकास ने खुद ही अपनी पहचान बताई थी।
इस मामले में शुरू से ही मुखर रहे सपा अध्य़क्ष अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, “खबर आ रही है कि कानपुर कांड का मुख्य अरोपित पुलिस की हिरासत में है। अगर ये सच है तो सरकार साफ करे कि ये आत्मसमर्पण है या गिरफ्तारी। साथ ही उसके मोबाइल फोन की सीडीआर सार्वजनिक करे जिससे मिलीभगत का भंडाफोड़ हो सके।”
कांग्रेस महासिचवप्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया, “अलर्ट के बावजूद आरोपित का उज्जैन तक पहुंचना न सिर्फ सुरक्षा के दावों की पोल खोलता है बल्कि मिलीभगत की ओर इशारा करता है। तीन महीने पुराने पत्र पर नो एक्शन और कुख्यात अपराधियों की सूची में विकास’ का नाम न होना बताता है कि इस मामले के तार दूर तक जुड़े हैं।”
प्रियंका ने आगे लिखा है- यूपी सरकार को मामले की सीबीआई जांच करा सभी तथ्यों और प्रोटेक्शन के ताल्लुकातों को जगज़ाहिर करना चाहिए। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने विकास की गिरफ्तारी को “प्रायोजित सरेंडर” करार दिया है।
प्रियंका वाड्रा के ट्वीट का जवाब देते हुए मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, “ये लोग पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाते हैं। ये गलवान में भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई पर सवाल उठाते हैं। आज एक कुख्यात अपराधी पकड़ा गया है तो मध्य प्रदेश पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं। ये वो हैं जो सेना और पुलिस का मनोबल गिराने का काम करते हैं।”
शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा के परिजनों ने भी विकास दुबे की “नाटकीय गिरफ्तारी” पर सवाल उठाए हैं। उनके रिश्तेदार कमलकांत ने कहा, “कई अपराधी जेल से बादशाहत चला रहे हैं। 12 घंटे पहले विकास फरीदाबाद में था और तुरंत वह उज्जैन पहुंच गया। सुनियोजित तरीके से उसका समर्पण कराया गया। कौन सी पुलिस गिरफ्तारी के लिए मीडिया को लेकर जाती है।”
फरीदाबाद से उज्जैन पहुंचने के लिए विकास ने 750 किलोमीटर का सफर तय किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विकास सड़क मार्ग के जरिए ही उज्जैन पहुंचा है। ऐसे में सवाल है कि पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियां क्या कर रही थीं? किसी को भनक क्यों नहीं लगी?
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