बरेली @BareillyLive. समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को मान्यता को लेकर लगातार संगठनों का विरोध बढ़ता जा रहा है। समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को लेकर कोर्ट के निर्णय को लोग समाज के लिए एक अभिशाप मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस निर्णय से मानवता का पतन हो जाएगा। भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं, धार्मिक सिद्धान्तों एवं सामाजिक मूल्यों को बचाने के लिए आज कई संगठनों ने एकत्र होकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को दिया।
इस दौरान उन्होंने बताया उन्हें मीडिया के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि न्यायालय द्वारा “समलैंगिकों के विवाह“ के सम्बन्ध में सुनवाई की जा रही है। भारतीय सामाजिक संरचना में सदियों से केवल जैविक पुरूष एवं जैविक महिला के मध्य विवाह को मान्यता दी गई है। विवाह की संस्था न केवल दो विषम लैंगिकों का मिलन है। यह मानव जाति की उन्नति एवं उत्पत्ति का आधार भी है। भारत के सभी सम्प्रदायों में केवल विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के विवाह को मान्यता दी गई है और इस पवित्र मिलन को सामाजिक संरचना के विकास का आधार माना गया है।
मगर न्यायालय द्वारा भारत के मानवाधिकारों का उल्लंघन कर और सामाजिक तानाबाना के विपरीत समलैंगिकों के विवाह की सनुवाई बहुत तत्परता से की जा रही है। इससे भारत के मानवीय संरचना में बहुत ही तीक्ष्ण दुष्प्रभाव और मानसिक उत्पीड़न अनुभव हो रहा है। भारत की सामाजिक और साम्प्रदायिक रूपरेखा में बिखराब की स्थिति के लिए और युवा वर्ग की मानसिक विकृति में समलैंगिकों के विवाह का निर्णय अगर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लिया गया, तो वह बहुत ही कष्टदायी होगा। यह निर्णय भविष्य में युवा पीढ़ी को विकृत मानसिक स्थिति में ला खड़ा करेगा। इससे साम्प्रदायिक तनाव बढ़ने की भी पूर्ण आशंका होगी। इससे हमारा समाज नष्ट हो जाएगा। इसलिए वह मांग करते है कि न्यायालय कोई ऐसा फैसला ना ले। अन्यथा सभी संगठन आंदोलन को मजबूर होंगे।
इस दौरान विश्व जागृति मिशन, प्रान्तीय उद्योग व्यापार मंडल, बरेली सनातन धर्म सभा, करूणा सेवा समिति, पंजाबी संगठन, उत्तर प्रदेश, पर्वतीय समाज, सेन्ट्रल गुरु पर्व समिति के पदाधिकारी मौजूद रहे।