भारतीय नववर्ष, नवसंवत्सर 2079 की हार्दिक शुभकामनाएं। आज शनिवार से चैत्र नवरात्रि (नवरात्र) शुरू हो गये और इसी के साथ भारतीय नववर्ष यानि संवत्सर 2079 भी आरंभ हो गया। प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को नववर्ष प्रारंभ होता है। चैत्र माह भारतीय नववर्ष का पहला महीना होता है। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार इस नव संवत्सर 2079 का नाम नल होगा। बता दें कि प्रत्येक भारतीय नववर्ष के आरंभ होने पर नव संवत्सर का अपना नाम होता है। इस बार नवसम्वत्सर शनिवार का आरंभ हो रहा है, इसलिए इस वर्ष के राजा शनि होंगे। भारतीय नववर्ष को विक्रम संवत, नव संवत्सर, गुड़ी पड़वा, उगाड़ी आदि नामों से भी जाना जाता है।
कब शुरु होता है विक्रम सम्वत्
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिवस ही वासंती नवरात्र का प्रथम दिवस होता है। प्राचीन सनातन ग्रंथो के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारम्भ की थी। चैत्र मास ही नव वर्ष मनाने के लिए सर्वोत्तम है, क्योंकि चैत्र मास में चारो ओर पुष्प खिलते है। वृक्षों पर नए पत्ते आ जाते है, चारों ओर हरियाली, मानो प्रकृति ही नव वर्ष मना रही हो। चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है तथा गर्मी का आगमन हो रहा होता है। मनुष्य के लिए यह समय प्रत्येक प्रकार के वस्त्र पहनने के लिए उपयुक्त है। चैत्र मास में ही फसल कटती है तथा नया अनाज भी घर में आता है, तो किसानों का नया वर्ष भी इसे ही माना जाता है। इसी दिन से नया पंचांग आता है, जिससे प्रत्येक भारतीय पर्व, विवाह तथा अन्य मुहूर्त देखे जाते है।
संवत्सर पांच प्रकार का होता है जिसमे सूर्य, चंद्र, नक्षत्र, सावन तथा अधिक मास का समावेश किया गया है, यह 365 दिनों का होता है। इसका आरम्भ मेष राशि में सूर्य की संक्रांति से होता है। वहीं चंद्र वर्ष के मास चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ आदि है इन महीनो का नाम नक्षत्रों के आधार पर रखा गया है। चन्द्र वर्ष 354 दिनों का होता है। इसी कारण जो बढ़े हुए 10 दिन होते है वह चन्द्र मास में ही माने जाते है। इस तरह प्रत्येक दिन वर्ष में 30 दिन बढ़ने के कारण इसे अधिक मास कहा जाता है। जिस वर्ष में यह अधिक मास होता है उसे लौंध वर्ष कहते हैं।