अब जब उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव का समय निकट आ गया है, बरेली में कुछ उम्रदराज भाजपाई जनप्रतिनिधि अपने बेटे-बेटियों को विधानसभा चुनाव में उतारने की जमीन तैयार कर रहे हैं। साथ ही इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के किए गए कार्यों का ही भाजपा के सभी संभावित प्रत्याशियों को आसरा है। यही कारण है कि वे अपने कार्यों को कम गिना रहे, योगी-मोदी के कामों की माला ज्यादा जप रहे हैं।
बरेली मंडल का हाल यह है कि भाजपा के देश-प्रदेश के सत्ताशीर्ष की प्रथम-द्वितीय पांत तो छोड़ ही दें, आगे की अन्य किसी पंक्ति में भी किसी पुराने भाजपा नेता को स्थान नहीं मिल सका है। ऐसा भी तब है जब बरेली जिले के सभी सांसद, विधायक, एमएलसी, जिला पंचायत अध्यक्ष और मेयर भाजपाई हैं। भाजपा से 8 बार के सांसद संतोष कुमार गंगवार को केंद्रीय मंत्रिपरिषद से हटाने के अब संसद की वित्तीय समिति का चैयरमेन और राजेश अग्रवाल को उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल से हटाकर भाजपा का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पद जरूर दिया गया है लेकिन ये पद राजनीतिक दबदबे के लिहाज से ज्यादा महत्व नहीं रखते हैं। धर्मपाल सिंह, बहोरन लाल मौर्य, डॉ अरुण कुमार को उपेक्षित करके अब कुछ ऐसे कनिष्ठ नेताओ को जातिवाद के नाम पर केंद्रीय और उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद में स्थान मिला है, जिनकी जनता में पकड़ कमजोर है।
ऐसे में बरेली महानगर की 1984 से लगातार भाजपा के कब्जे बाली विधानसभा सीट से भी, चर्चा के अनुसार किसी नये भाजपा प्रत्याशी को वंशवाद के नाम पर अगर टिकट मिलता है तो यह सीट भी खतरे में पड़ सकती है। स्मार्ट सिटी का दर्जा प्राप्त बरेली शहर आज भी बदहाल गड्ढेदार सड़कों, चोक नाले-नालियो, हर सड़क-चौराहे पर जाम से जूझ रहा है। कुतुबखाना उपरगामी सेतु, सुभाषनगर उपरगामी सेतु और कूड़ा निस्तारण प्लांट की योजना कब परवान चढ़ेगी, कोई नहीं जानता। फिलहाल तो जनता को सड़कों पर जख्मी होने और चौराहों पर जाम में फंसने के लिए छोड़ दिया गया है। स्मार्ट सिटी के अधिकारी मस्त हैं और जनता त्रस्त।
बरेली शहर विधानसभा सीट से 1984 में डॉ दिनेश जौहरी पहली बार भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह कुल तीन बार बरेली शहर सीट से विधायक चुने गए। मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल में वह स्वास्थ्य मंत्री रहे। उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी होना पड़ा था। बाद में समाजवादी पार्टी में जाने के बाद डॉ. दिनेश जौहरी पिछले 25 वर्षो से सक्रिय राजनीति से दूरी बनाकर उतने सक्रिय भी नहीं रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र से अपने पुत्र राहुल जौहरी की मित्रता होने के दम पर अब डॉ दिनेश जौहरी राहुल जौहरी, जो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सीईओ भी रहे, को भाजपा की राजनीति में उतारने को लेकर प्रयासरत हैं। यह बात दूसरी है कि राहुल जौहरी अभी भाजपा के सदस्य तक नहीं हैं।
डॉ जौहरी कहते है कि वह पेंशन से ही खर्चा चला रहे हैं। वह घर आये लोगों को मट्ठा पिलाकर रजिस्टर पर उनका नाम, पता और फोन नम्बर भी लिखवाते हैं। बेटे राहुल जौहरी को शहर सीट से भाजपा टिकट की आस में उन्होंने कोरोना टीकाकरण कैम्प भी लगवाने शुरू किए हैं। एलीट लोगो के लिए बरेली क्लब में कार्यक्रम भी करा चुके हैं। भाजपा के दूसरी बार के विधायक डॉ अरुण कुमार साफ छवि के हैं। उन पर कोई आरोप भी नहीं है। लंबे समय तक निष्क्रिय रहे डॉ दिनेश जौहरी अब पुत्र के लिए डॉ अरुण कुमार का टिकट हथियाने को प्रयासरत हैं।
बरेली कैंट विधानसभा क्षेत्र से राजेश अग्रवाल भाजपा के विधायक हैं। वह प्रदेश साकार में वित्त मंत्री भी रहे। योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल से हटाये जाने के बाद आजकल वह भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हैं। राष्ट्रीय स्वमसेवक संघ के पुराने स्वयंसेवक राजेश अग्रवाल के खाते में लगातार छह बार विधानसभा चुनाव में सफलता का रिकॉर्ड है। वित्त मंत्री पद संभालने से पूर्व भी वह उत्तर प्रदेश सरकार में व्यापार निबंधन एवं कर मंत्री भी रहे। वह प्रदेश भाजपा के महामंत्री और कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं।
राजेश अग्रवाल वर्ष 1993 में प्रथम बार बरेली विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। इससे पूर्व वह महानगर कार्यवाह भी रहे। उन्होंने बरेली विधानसभा क्षेत्र से ही वर्ष 1996, 2002 और 2007 में भी जीत दर्ज की। परिसीमन के बाद बरेली शहर का काफी बड़ा भाग कैंट विधानसभा क्षेत्र में शामिल हो गया। उसके पश्चात कैंट विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने वर्ष 2012 और 2017 के चुनाव में विजय प्राप्त की।
पेशे से व्यापारी राजेश अग्रवाल का जन्म 18 सितम्बर 1943 को बरेली में हुआ था। संघ से जुड़ने के बाद समाजसेवा को प्राथमिकता दी और आज भी वह समाजसेवा में संलग्न रहते हैं। सेटेलाइट पुल, चौपला का अटल बिहारी सेतु, 300 बेड हॉस्पिटल के अलावा कैंट में भी उन्होंने कई विकास कार्य करवाये। आजकल वह अपने पुत्र मनीष अग्रवाल को राजनीति में सक्रिय कर उसे चुनाव मैदान में उतरने का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
सरल स्वभाव के पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार वर्ष 2019 में 8वीं बार बरेली से भाजपा सांसद चुने गए थे। उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के भगवत शरण गंगवार को 1 लाख 67 हजार 282 वोटों से पराजित किया। बरेली लोकसभा सीट से 1989 में पहली बार जीतने के बाद संतोष कुमार गंगवार को इसके बाद केवल 2009 में हार का सामना करना पड़ा जब कांग्रेस के प्रवीण सिंह एरन ने उन्हें लगभग 9 हजार वोटों से पटकनी दी। इसके बाद 2014 में वह 7वीं बार चुनाव जीत गए। वह वर्ष 2019 में जीतकर 17वीं लोकसभा में भी मोदी सरकार में मंत्री बने।
संतोष कुमार गंगवार भारतीय राजनीति का एक जाना-पहचाना नाम हैं। बरेली को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलाने, हवाई यात्रा मार्ग से जोड़ने, इज्जतनगर रेलवे स्टेशन को आदर्श स्टेशन बनवाने, बरेली कैंट रेलवे स्टेशन को जंक्शन का दर्जा दिलाने, सीबीगंज में कर्मचारी राज्य बीमा निगम के 100 बेड के नये हॉस्पिटल का भूमि पूजन कराने, टेक्सटाइल पार्क को लाने के साथ ही कई जनहित के कार्य उन्होंने करवाये। उनके द्वारा स्थापिच अर्बन कोऑपरेटिव बैंक को 25 साल पूरे हो गए हैं। वह अक्सर मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे शहर में घूमते नजर आते हैं। उनके कार्यालय भारत सेवा ट्रस्ट पर आज भी भीड़ रहती है। वह मोतियाबिंद का कैम्प भी लगवाते हैं।
संतोष गंगवार का अब अपनी पुत्री को चुनाव मैदान में उतारने का मन है। इसीलिए आजकल वह कार्यक्रमो में अपनी पुत्री को भी साथ रख रहे हैं। केंद्रीय मंत्रिपरिषद से हटाये जाने के बाद उन्हें वित्तीय समिति का प्रमुख बनाया गया। भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के आय-व्यय का लेखाजोखा यही समिति रखती है।
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बरेली। वर्तमान में डॉ. अरुण कुमार बरेली नगर विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार भाजपा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पेशे से चिकित्सक डॉ. अरुण कुमार की छवि ईमानदार एवं सक्रिय राजनीतिज्ञ की है। उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ दिनेश जौहरी के पुत्र राहुल जौहरी उनकी जगह चुनाव टिकट हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र के साथ दोस्ती के चलते राहुल जौहरी को उम्मीद है कि उनको ही टिकट मिलेगा।
बरेली में जन्में डॉ. अरुण कुमार ने वर्ष 1965 में बरेली कॉलेज से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद वर्ष 1970 में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की शिक्षा पूरी की। बरेली में कोहाड़ापीर पर वर्षों (अब गांधीनगर) अपने निजी चिकित्सालय में चिकित्सक के रूप में सेवाएं देते हैं। इसके साथ ही वह भाजपा की राजनीति एवं रोटरी क्लब साउथ के माध्यम से समाजसेवा में भी योगदान देते हैं। उनका सुबह से देर रात तक विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये जनता के साथ निरंतर संवाद बना रहता है।
2012 में डॉ. अरुण कुमार ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी डॉ. अनिल शर्मा को हराया था। डॉ. अरुण कुमार को 68 हजार 983 वोट प्राप्त हुए जबकि डॉ. अनिल शर्मा को 41 हजार 921 मत मिले। 2017 चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के प्रेम प्रकाश अग्रवाल एवं सपा के प्रत्याशी को हराया। डॉ अरुण कुमार ने आईवीआरआई पुल बनव ने के साथ ही में कई विकास कार्य करवाये। कुदेशिया रेल फाटक पर अंडरपास बनवाने के साथ ही वह आईटी पार्क बनवाने की दिशा में भी प्रयासरत हैं। उनके निवास पर लगे कोविड टीकाकरण कैम्पों का हजारों लोगों ने लाभ उठाया। उनके बड़े भाई अनिल कुमार एडवोकेट भी उनके कार्यों में सक्रिय रहकर मदद करते है।
(पत्रकार संगठन उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष)
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