बरेली। बरेली के चार नामचीन अस्पतालों ने प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में शामिल आयुष्मान भारत योजना का मखौल उड़ा दिया। हार्ट की गंभीर बीमारी से जूझ रहे दीवान खाने के मतलूब हुसैन (59) का चार बड़े अस्पतालों ने आयुष्मान कार्ड पर इलाज नहीं किया। मतलूब हुसैन के परिजन अस्पतालों में चक्कर काटते रहे। इसी दौरान उनकी मौत हो गई। मतलूब हुसैन की बेटी नाजिया खान ने प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा से अस्पतालों की कारगुजारी बताइ। साथ ही आयुष्मान कार्ड को नजरअंदाज करने वाले पैनल में शामिल अस्पताल संचालकों के खिलाफ करवाई करने की मांग की।

24 सितंबर को मतलूब हुसैन को सांस लेने में दिक्कत हुई थी मतलूब हुसैन के परिजन सबसे पहले एंबुलेंस से सिविल लाइंस के एक बड़े अस्पताल में लेकर गए। वहां मतलूब हुसैन को भर्ती नहीं किया गया। मरीज को एंबुलेंस में देखकर ही छोड़ दिया। इसके बाद स्टेडियम रोड के एक और बड़े अस्पताल लेकर परिजन पहुंचे। वहां भी ऐसा ही व्यवहार किया गया। बाद में मतलूब हुसैन के परिवार वाले बरेली जंक्शन के पास एक और बड़े अस्पताल में लेकर पहुंचे।

अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड पर इलाज करने से इंकार कर दिया। परेशान होकर परिजन बरेली के एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में लेकर गए। भर्ती करने की औपचारिकता चलती रही। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने 15 हज़ार रुपये जमा करने को कहा। इसी दौरान मतलूब हुसैन की मौत हो गई। गुरुवार को मतलूब हुसैन की बेटी नाजिया खान सर्किट हाउस पहुंच गईं। प्रभारी मंत्री को बरेली के अस्पतालों की कारगुजारी के बारे में बताया। प्रभारी मंत्री ने सीएमओ को मामले की जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए।सीएमओ ने नाजिया खान से लिखित शिकायत ले ली है।

मामला संज्ञान में आया था। हमने बुजुर्ग के परिजनों से अस्पताल में मौजूद स्टाफ से बात कराने को कहा तो उन्होंने बताया कि उनको दूसरे अस्पताल में लेकर जा रहे हैं। इलाज न देने वाले सभी अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. विनीत कुमार शुक्ला, सीएमओ

By vandna

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