मेट्रो शहरों में होली का उत्साह भले ही अब कम हो गया हो पर अपने स्मार्ट सिटी बरेली में यह परम्परा कायम है। हुरियारों ने अपने बड़े-बड़े पम्प निकाल कर तेल-पानी देने के साथ ही उनकी मरम्मत भी कराना शुरू कर दिया है। इस बार होली के उत्साह में विधानसभा चुनाव में भाजपा की बम्पर जीत और योगी आदित्यनाथ की सत्ता में वापसी का उत्साह भी घुला हुआ है। कोविड की तीसरी लहर भी समाप्ति पर है। यानि उत्सव का माहौल है। 162 वर्ष पुरानी बमनपुरी की रंगबरात (होली की बारात) की तैयारी भी शुरू हो गयी है जो फाल्गुन पूर्णिमा (17 मार्च) को शहर में निकली जायेगी।
कारोबारी बताते हैं कि इस बार कुतुबखाना और कोहाड़ापीर की कई दुकानों पर पीतल के बड़ी पिचकारियों (हैंडपम्प) की बिक्री खूब हुई है। हालांकि शहर की आउटर कालोनियों में होली का उत्साह अब सिमटता जा रहा है। इसके विपरीत बमनपुरी, बिहारीपुर, चाहबाई, बजरिया पूरनमल, कालीबाड़ी, सिकलापुर, श्यामगंज, आलमगिरी गंज, बड़ा बाजार जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रंगबरात को लेकर अभी से उत्साह देखा जा सकता है। हिन्दू सोशल ट्रस्ट के गुलाबराय में होने वाले ‘होली मिलन समारोह’ भी ऐतिहासिक है जिसमें तमाम राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं के स्टाल लगते हैं। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोग गले मिलकर होली की सभी को शुभकामनाएं देते है। इस मिलन समारोह में सांसद, विधायक, सांसद, मंत्री, सभासद, प्रशानिक/ पुलिस अधिकारी, व्यापारी नेता, डॉक्टर, समाजसेवी आदि सभी वर्गों और व्यवसाय से जुड़े लोग पूरे उत्साह से शामिल होते हैं।
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बरेली शहर में होली दहन वाले अधिकतर स्थानों पर गोबर लेपन के बाद पेड़ों की टहनियां का ढेर लग जाते है। कालीबाड़ी, सिकलापुर, गंगापुर, पुराना शहर, चाहबाई, गुलाबनगर, बिहारीपुर, बमनपुरी, मढ़ीनाथ, सुभाषनगर प्रेमनगर, राजेन्द्र नगर में ऐसे दृश्य होली से काफी पहले से दिखायी पड़ने लगते हैं।
इन सबके बीच शहरवासियों को सबसे ज्यादा इंतजार है रंगबरात का। इसके लिए बमनपुरी और चाहबाई में तैयारी शुरू हो गयी है। आयोजकगण कोविड 19 को ध्यान रख तैयारी कर रहे हैं। श्री रामलीला सभा बमनपुरी की रंगबरात पिछले 162 वर्ष से निरंतर निकलती रही है। चाहबाई से निकलने वाली रंगबरात (भगवान नृसिंह की शोभायात्रा) कुतुबखाना पर इसमें समाहित हो जाती है। इस मिलन के बाद हुरियारों का विशाल प्रवाह पूरे शहर का भ्रमण करता है। इस रंगबरात में ट्रैक्टर ट्रॉली और बैल ठेलों पर रखे बड़े-बड़े ड्रमों में भरे रंग से हुरियारे रास्तेभर मोर्चा खेलते, रंग-गुलाल उड़ाते चलते हैं। हर हुरियारा अपने अलग अंदाज में रंगा-पुता नजर आता है। बिहारीपुर, कुतुबखाना, कोतवाली, कॉलेज रोड, कालीबाड़ी, श्यामगंज, आलमगीरी गंज, बड़ा बाजार में बड़े ड्रम-कड़ाहों में रंग भरकर तैयार हुरियारे रंगबरात में शामिल हुरियारों के साथ मोर्चा खेलते हैं।
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12 मार्च को निकली थी झंड़ी यात्रा
इस बार श्रीरामलीला सभा बमनपुरी की 162वीं होली की रामलीला के लिए 12 मार्च 2022 को बमनपुरी में पूजन के बाद झंडी यात्रा निकाली गई थी। इसमें किशोर कटरू, कार्यवाहक अध्यक्ष सर्वेश रस्तोगी, अंशु सक्सेना, दिनेश, पंकज मिश्रा, नीरज रस्तोगी, विवेक शर्मा, गौरव सक्सेना, इंदर देव त्रिवेदी, जनार्दन आचार्य, रंजीत रस्तोगी, महेश पंडित, विशाल मेहरोत्रा, निर्भय सक्सेना, राजू मिश्रा, अभिनव कटरू, प्रवीन उपाध्याय आदि ने भाग लिया।
रंग पूर्णिमापर होता है ‘महामूर्ख सम्मेलन‘
होली पर्व पर ही कमल टाकीज परिसर में ऑल इंडिया कल्चरल एसोसिएशन के बैनर पर कबीर पुरस्कार विजेता जेसी पालीवाल के निवास पर ‘महामूर्ख सम्मेलन’ रंगबरात वाले दिन आयोजित होता है। शहर की बड़ी-बड़ी “तोपें” महामूर्ख बनने की उम्मीद लेकर इसमें शामिल होती हैं। इस बार 32वां ‘महामूर्ख सम्मेलन’ 17 मार्च 2022 को कोविड गाइडलाइन के दायरे में होगा। जेसी पालीवाल के अनुसार इसका आयोजन 1990 में शुरू किया गया था।
निर्भय सक्सेना
(पत्रकार संगठन उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष)