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भारत को राम के साथ कृष्ण नीति अपनाने की भी आवश्यकता : स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि

आंवला (बरेली)। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि महाराज कहना है कि देश की वर्तमान परिस्थितियों में प्रभु श्रीराम और श्रीकृष्ण दोनों की नीतियों का अनुसरण करना चाहिए। आज भारत को श्रीराम के साथ श्री कृष्ण की नीति की भी आवश्यकता है। जहां राम समुद्र से रास्ता मांगते हैं मर्यादा का पालन करते हैं वहीं श्रीकृष्ण महाभारत में शठे-शाठ्यम समाचरेत का सिद्धान्त स्थापित करते हैं। वह बरेली लाइव से बातचीत कर रहे थे।

स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि महाराज अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि श्री कृष्ण को योगीराज भी कहा जाता है। महाभारत युद्ध के दौरान जब कर्ण ने कहा कि अर्जुन निहत्थे पर वाण चलाना कहां की नीति है तो योगीराज ने कहा कि जब चक्रव्यूह बनाकर निहत्थे अभिमन्यु को घेरकर मारा था तब युद्ध नीति कहां थी?

उन्होंने वर्तमान परिदृश्य का उदाहरण देते हुए कहा कि दुश्मन देश पाकिस्तान ने हमारे बहादुर सैनिकों को बम विस्फोट करके शदीद किया था। तब देश में जो गुस्सा था उसको देखते हुए अपनी नीति के तहत जहां भारत सरकार ने एक ओर निरन्तर जल सेना, वित्त मंत्रालय की बैठकें कर पाकिस्तान को बेखबर कर किया और रात्रि में सर्जिकल स्ट्राक करके देश का मान बढ़ाया, यही है कृष्ण नीति।

आज राष्ट्र को जहां राम की नीति की आवश्यकता हो वहां रामनीति और जहां आवश्यकता हो वहां श्रीकृष्ण नीति का प्रयोग करना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि राम केवल विनय के ही प्रतीक नहीं हैं, वह पौरुष के भी द्योतक हैं। समुद्र ने जब विनय को नहीं माना तो राम को भी क्रोध आया था। गोस्वामी जी ने श्रीरामचरित मानस में लिखा है-

विनय न मानत जलधि जड़, गये तीन दिन बीति।
बोले राम सकोप तब, भय बिनु होहि न प्रीति।।
शठ सन विनय कुटिल सन प्रीति।
सहज कृपन सन सुन्दर नीति।।

समूचे विश्व के हैं श्रीराम

स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि ने कहा कि राम भारत के ही नहीं समूचे विश्व के हैं। जब राम थे तब समूचा विश्व सनातनी था। उस समय अन्य पंथ नहीं थे। एकमात्र सनातन धर्म ही था। उन सनातनी महापुरुषों की संताने ही आज समस्त विश्व में हैं। समयचक्र बदलता गया और हम विभिन्न धर्मों तथा पंथों में बंट गये परन्तु यह सत्य है कि सभी सनातनी धर्म को मानने वालों के ही वंशज हैं।

हिन्दुओं के अस्तित्व की थी रामलला की लड़ाई

राम मंदिर की लड़ाई हिन्दू समाज के अस्तित्व की लड़ाई थी, जिसे हिन्दू समाज ने काफी लम्बे समय तक लड़ा और आज सफलता पाई है। श्रीराम जन्मभूमि का निर्णय माननीय कोर्ट ने निष्पक्ष रूप से दिया है। सभी तथ्यों, प्रमाणों व सभी पक्षों को सुनने के बाद जो निर्णय किया है, वह हिन्दू समाज के लिए गौरव है।

महामण्डलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि यहां आंवला में श्रीरामकथा सप्ताह के दौरान स्थानीय सरस्वती विधा मंदिर कथा वाचन के आये हुए हैं।

vandna

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