वाराणसी के मशहूर साहित्यकार श्रीनाथ खंडेलवाल का वृद्धाश्रम में निधन हो गया है। उनका अंतिम संस्कार करने बेटा और बेटी भी नहीं आए। वे 400 से अधिक किताबें लिख चुके हैं और 80 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति के मालिक थे। बाहरी लोगों ने उनका अंतिम संस्कार किया है।
जब तक सांस है, कलम चलती रहेगी… यह कहने वाले और 400 से अधिक पुस्तकें लिखने वाले महान साहित्यकार एस.एन. खंडेलवाल का वृद्धाश्रम में निधन हो गया। दुखद बात यह रही कि उनके अंतिम संस्कार में भी परिवार का कोई सदस्य शामिल नहीं हुआ। उनका बेटा एक बड़ा बिजनेसमैन है, और बेटी-दामाद सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं। लगभग 80 करोड़ की संपत्ति का उत्तराधिकारी बनने के बाद, बेटे-बेटी ने उन्हें घर से निकाल दिया।
एस.एन. खंडेलवाल एक ऐसे युगदृष्टा लेखक थे, जिनकी किताबें उस समय ऑनलाइन उपलब्ध थीं, जब इंटरनेट की पहुंच सीमित थी। 400 से ज्यादा किताबें लिखने वाले खंडेलवाल जी की रचनाएं आज भी अमेज़न और गूगल पर उपलब्ध हैं।
उन्होंने 3000 पन्नों के मत्स्य पुराण, शिव पुराण, पद्म पुराण और नरसिंह पुराण का हिंदी, संस्कृत, असमी और बंगाली में अनुवाद किया। उनकी पुस्तक गीता तत्व बोधिनी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यह गीता पर आधारित एक ऐसी पुस्तक है, जिसमें एक भी श्लोक नहीं है। इसमें उन्होंने भगवान कृष्ण और अर्जुन के संवाद का गहन अध्ययन प्रस्तुत किया है। पुस्तक में यह शोध किया गया है कि अर्जुन के प्रश्नों के जवाब में कृष्ण ने वही उत्तर क्यों दिए, अन्य उत्तर क्यों नहीं दिए।
सोचने पर विवश कर देने वाला यह सत्य है कि ऐसी महानता और ऐसी अपार सफलता का क्या उपयोग, यदि आप अपने माता-पिता का सम्मान और देखभाल नहीं कर सकते। खंडेलवाल जी को शत शत नमन..