ताबड़तोड़ हो रही इन मौतों ने स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मचा दिया है। गांवों में व्याप्त गंदगी ने बीमारियों के संक्रमण को और घातक कर दिया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध संसाधन और तैनात चिकित्सक मरीजों की संख्या को देखते हुए नाकाफी साबित हो रहे हैं।
आंवला के मनौना में कल्यान मौर्य (60), गफ़्फ़ार (45) की बुखार से मौत हो गई। इसके अलावा भमोरा क्षेत्र के ग्राम हजरतपुर के सलमुद्दीन की पत्नी कैसरी बेगम (42) की जिन्दगी भी बुखार ने निगल ली। इसके अलावा देवचरा नई बस्ती के दीनानाथ की पत्नी प्रेमा (50) ने भी बरेली के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया।
भमोरा के ग्राम प्रेमराजपुर में यादराम (35) पुत्र सियाराम लोधी की जान भी बुखार ने ले ली। साथ ही बिशारतगंज के गांव ढकौरा में बाबू सरन (3) पुत्र तुलाराम व कंधरपुर में बाबूराम (45) की भी इलाज के दौरान मौत हो गई। गांव बलेई भगवंतपुर में नन्हे कश्यप (40) भी बुखार से हार गए। रामनगर गांव की प्रेमलता (20) पत्नी सोनू ने बरेली के अस्पताल में दम तोड़ दिया। बहेड़ी में हरहरपुर डूंडा शुमाली गांव में आठ वर्षीय जगदीश पुत्र देवरतन उर्फ गुड्डू ने दम तोड़ दिया।
वहीं, फरीदपुर के गांव जिगीनिया हरचाल मुहाल के राधेश्याम (35) की भी मौत हो गई। इतनी मौतों के बाद स्वास्थ्य विभाग ने गांवों में टीमें भेजी हैं जहां कैंप लगाकर लोगों को दवाएं दी जा रही हैं।
आंवला संवाददाता के अनुसार क्षेत्र के दर्जनों गांवों में बुखार महामारी की तरह फैल रहा है। कई गांव तो ऐसे है कि प्रत्येक घर में एक न एक सदस्य बुखार से पीडित है। नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर सुबह से ही बुखार पीडितों की लम्बी-लम्बी लाइने लग जाती सीएचसी आंवला पर तैनात चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेन्द्र कुमार का कहना है कि दिन में करीब 800 से 900 तक मरीज बुखार के आ रहे हैं। यहां केवल 6 चिकित्सक ही तैनात हैं।
इसी तरह आंवला प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर तैनात प्रभारी डा0 विकास यादव का कहना है कि यहां पर करीब 300 नए मरीज प्रतिदिन बुखार के आ रहे हैं जिनमें से अधिकांश टाइफाइड, मलेरिया, व वायरल के हैं।सरकारी सुविधाओं के टोटे का लाभ निजी अस्पतालों और चिकित्सकों को मिल रहा। निजी चिकित्सकों और झोलाछाप डॉक्टर्स के क्लीनिक पर पूरे दिन में सैकडों मरीज पहुंच रहे हैं।
नगर के समीपस्थ ग्राम मनौना में पिछले 3 दिनो में बुखार से 4 मौते हो चुकी है परन्तु स्वास्थ्य विभाग की टीम इससे बेखवर है। यहां रहने वाले ग्रामीण देशराज, खुशमुरीदन, शीलगिरी, मुबारिक आदि का कहना है कि गांव में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है। गांव में गंदगी व्याप्त है। प्रत्येक घर में कोई न कोई सदस्य बुखार से तप रहा है। अभी तक किसी भी अधिकारी व स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है गांव में पिछले 3 दिनें में 4 मौते बुखार के चलते हो चुकी है।
वहीं ग्राम प्रधान पति पप्पू ने बताया कि यहां तैनात सफाई कर्मचारी सफाई करने नहीं आता हे उन्होनें जेसीबी के द्वारा गा्रम में पडे कूढे के ढेर साफ कराये हैं। नगरपालिका चेयरमैन संजीव सक्सेना ने बताया कि नालियों में छिड़काव व फॉगिंग का कार्य शुरू हो चुका है। सीएमओं से बात भी की है शीघ्र ही नगर के विभिन्न वार्डो में स्वास्थ्य विभाग के सहयेग से शिविर लगवा कर स्वास्थ्य लाभ पहुचांने का प्रयास किया जाएगा।
चिकित्सा प्रभारी डा. विकास यादव का कहना है कि संक्रमण तेजी से न फैले तथा इसकी रोकथाम के लिए पानी उबालकर ठण्डा करके पीएं। साफ-सफाई का ध्यान रखें। आस पास गंदगी न होने दें। हल्का सुपाच्य भोजन ग्रहण करें तथा बुखार आने में स्वयं उपचार न करते हुए शीध्र चिकित्सक की सलाह लें।
बुखार से तप रहे नगर व आसपास के क्षेत्र को देखते हुए उपजिलाधिकारी विशुराजा सीएचसी पर पहुंचे तथा चिकित्सीय व्यवस्थाओं को देखा। उन्होनें कहा कि मरीजों के साथ धैर्य व सामंजस्य बनाकर इस संकट की घड़ी में करना होगा। दवाओं की कोई कमी नहीं है, परन्तु मरीजों की तुलना में डॉक्टर की कमी के कारण परेशानियां आ रही है।
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