बरेली। बरेली के मिनीबाइपास स्थित कृष्णा होम्स कालोनी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में बुधवार को चौथे दिन भक्त प्रहलाद के चरित्र का वर्णन किया गया। इसके बाद भगवान श्रीहरि विष्णु के गज-ग्राह प्रसंग, समुद्र मंथन, वामन अवतार, राम जन्म के बाद योगेश्वर श्रीकृष्ण के जन्म का मोहक वर्णन कथाव्यास दिव्यकृष्ण शास्त्री ने किया। उन्होंने कहा कि कलियुग में भक्ति ही हमें कुमार्ग पर जाने से रोकती है।
वृंदावन से पधारे कथाव्यास दिव्यकृष्ण शास्त्री ने कहा कि भक्त अपनी भक्ति से भगवान को धरा पर आने को विवश कर देते हैं। अगर भक्ति सच्ची है तो कोई दुष्ट भक्त का बाल भी बांका नहीं कर सकता। भक्त प्रहलाद की कथा यही संदेश देती है। अग्नि से कभी न जलने वाली होलिका और श्री हरि से शत्रुता मानकर भक्तों पर अत्याचार करने वाला हिरण्यकश्यप का अंत भक्ति की शक्ति को समझने के लिए काफी है।
उन्होंने कहा कि भगवान भक्तों के अहंकार का भाजन करते हैं। इसी से भक्त का कल्याण होता है। भक्त प्रहलाद के पौत्र राजा बलि को जब अपने दान का अहंकार हो गया तो भगवान ने दो पग में धरती और अंतरिक्ष़्ा नापकर तीसरा पग बलि के सिर पर रखकर उसे पाताल पहुंचा दिया। वहां का राजा बनाकर उनका सम्मान बरकरार रखा तो सिर पर पैर रखकर उसके अहंकार का नाश कर दिया।
इसी तरह त्रेतायुग में रावण का संहार करने के लिए श्रीहरि ने राम का अवतार लिया। द्वापर में श्रीकृष्ण के रूप में जन्मलेकर भगवान ने अपने भक्तों की रक्षा की। उन्होंने बाल कृष्ण की लीलाओं का मनोहारी वर्णन कर भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
कथा का आयोजन पंडित नत्थू लाल शर्मा द्वारा कराया जा रहा है। आयोजन में सचिन कुमार शर्मा, कुलभूषण शर्मा, अंकित शंखधार, मुदित शंखधार और प्रशांत भूषण शर्मा आदि का विशेष सहयोग है।