लीला में दिखाया कि एक बार नारद जी ने किस प्रकार लीला करके दैत्यों ही नहीं देवताओं के साथ त्रिदेवों को भी हिलाकर रख दिया। दिखाया कि किस प्रकार जालंध का प्रादुर्भावा और वृंदा अर्थात तुलसी का प्रादुर्भाव हुआ। तदुपरान्त दोनों का विवाह, जालंधर वध के बाद तुलसी और सालिगराम का विवाह का भी सफल मंचन किया गया।
बताया कि कलयुग में नारायण भगवान सालिगराम के रुप में प्रगट होंगे और देवी वृंदा तुलसी जी के रुप प्रगट होंगी जिनका एक स्थान होगा उसका नाम वृंदावन होगा। जो भी कलयुग में भगवान तुलसी सालिगराम का विवाह करायेगा उसका वंश कभी नष्ट नहीं होगा।
लीला के मुख्य यजमान राजेन्द्र विद्यार्थी सीए तथा शालिनी विद्यार्थी, नवीन माथुर व बीना माथुर एवं आरसीअग्रवाल थे। इनके अतिरिक्त सतीश खट्टर, सुशील हरमिलापी, रवि छावड़ा, जुगल किशोर साबू, मोहन-अंजु गुप्ता, नरसिंह मोदी, वी.के.गुप्ता, सुरेश मिन्ना, नवीन गोयल, मुकेश अग्रवाल, डी.एन.शर्मा, कैलाश चन्द्र शर्मा, विकास शर्मा आदि विशेष रुप से योगदान रहा।
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