शरद सक्सेना, आँवला (बरेली)। अपनी-अपनी ढपली सबकी, अपना-अपना राग। यह कहावत निकाय चुनाव के प्रत्याशियों पर कुछ यूं बैठती है- अपने-अपने आंकड़े सबके, अपनी-अपनी जीत। इन दिनों तहसील में दलों की तो छोड़िये जनाब, हर निर्दल प्रत्याशी भी अपने तरीके से आंकड़े पेश कर जीत से कम कुछ मानने को तैयार ही नहीं है।
प्रत्येक उम्मीदवार को खुद को जीता हुआ बताकर जनता से अपने पक्ष में वोट मांग रहा है। सभी उम्मीदवारों का अपने आंकड़े हैं आंकड़ेबाजी मे सभी भारी बहुमत से जीत रहे हैं। सपा, भाजपा व बसपा का व कांग्रेस अपनी आंकड़ेबाजी में जीत रही है परन्तु इन सभी क्षेत्रीय व राष्ट्रीय दलों का गणित निर्दलीय बिगाडते हुए दिखाई दे रहे हैं।
सपा से निर्वतमान चेयरमैन सैयद आबिद अली हैं जो पिछला चुनाव निर्दलीय के रूप में जीते थे। जीतने के बाद वह सत्ताधारी दल के साथ हो लिये। आबिद अपने कार्यकाल में कराये विकास कार्यों के बल पर जनता से पुनः सर्मथन मांग रहे हैं। केन्द्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है ऐसे में पार्टी ने अपने पुराने कार्यकर्ता व कैबिनेट मंत्री के करीबी जिला उपाध्यक्ष संजीव सक्सेना पर दांव लगाया है। संजीव जमीनी कार्यकर्ता हैं। संगठन में उनकी अच्छी पकड़ है। हालांकि पार्टी के एक और दावेदार ने इस्तीफा देकर विरोध स्वरूप संजीव का राह में रोड़े अटकाने का काम किया है। लेकिन भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं का मजबूत और जमीनी नेटवर्क के सहारे संजीव अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं।
कांग्रेस ने सूरज शर्मा को चुनावी समर मे अपना सिपाही बनाकर उतारा है। सूरज नगर पलिका में वाइस चेयरमैन रह चुके हैं। कांग्रेसियों को बहुत आस है कि इस बार पालिका में कांग्रेस का सूरज चमकेगा। पालिका में जमादार के पद से रिटायर हुए भगवानदास मौर्य बसपा के प्रत्याशी हैं। उनको अपने सजातीय व कैडर वोट के सहारे पालिका में पहुंचने की पूरी उम्मीद है।
गणित बिगाड़ रहे निर्दलीय
इस सबके बावजूद कई निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें कई तो पार्टियों के प्रत्याशियों के गणित को गड़बड़ाने पर आमादा हैं।
तारिक उर्फ पप्पू कुरैशी समाजसेवा के नाम पर वोट मांग रहे हैं। नगर में उनकी एक अलग पहचान बन चुकी है, वह सभी वर्गो के समर्थन की बात कहकर पूरी दमदारी से चुनावी समर में कूदे हैं। पप्पू जमींदार मियां खानदान के दामाद हैं। इसके अलावा सपा से बगाबत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे वकार अली गुडडू अपने पिता पूर्व चेयरमैन स्व0 मंजूर अहमद की विरासत को संभालने के दावे के साथ मैदान में हैं।
प्रवक्ता व शिक्षित युवा प्रत्याशी अमित कुशवाह उर्फ अंशू भैया ने भाजपा से बेटिकट होने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा है। उनको अपने समाज व युवाओं का पूर्ण समर्थन मिलने की पूरी आशा है। इसके अलावा अन्य निर्दलीय भी मैदान में पूरी दमखम के साथ ताल ठोंक रहे हैं।
कुछ ऐसा ही हाल 25 वार्डों में भाजपा से बे-टिकट हुए निर्दलीय प्रत्याशियों का भी है। वह भी पूरी दमखम के साथ स्वयं की सीट निकालने का और अपनी पूर्व पार्टी के प्रत्याशियों को हराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते दिखाई दे रहे हैं। वहीं भाजपा से बागी टिकट के बडे दावेदार व्यापारी नेता सुनील गुप्ता ने पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय सौरभ गुप्ता को समर्थन किया है।
ऐसे में आंवला का निकाय चुनाव बेहद रोमांचक स्थिति में बहुकोणीय हो गया है। देखना यह है कि मतदाता का आशीर्वाद किस-किस को मिलेगा। और किसे वोटर राजा अपने उम्मीदों को पूरा करने के लिए पालिका की चाबी सौंपेगा।