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बहेड़ी से पूर्व विधायक रहे छत्रपाल गंगवार भी दौड़ में बने हुए हैं

विशाल गुप्ता @BareillyLive. बरेली लोकसभा की सीट से भाजपा अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं कर सकी है। प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प ‘अबकी बार 400 पार’ को पूरा करने के लिए भाजपा फूंक-फूंककर कदम रख रही है। इसी के दृष्टिगत देश में एक-एक सीट जीतना भारतीय जनता पार्टी का प्रथम लक्ष्य है। ऐसे में संतोष गंगवार को एक बार फिर भाजपा अपना उम्मीदवार बना सकती है। हालांकि बहेड़ी से पूर्व विधायक रहे छत्रपाल गंगवार दौड़ में आगे बताये जा रहे हैं।

संतोष गंगवार की उम्र को लेकर ऊहापोह की स्थिति है, लेकिन आठ बार के अनुभवी और देश के वरिष्ठतम सांसदों में से एक संतोष गंगवार की अपने लोकसभा क्षेत्र में पकड़ उनकी ताकत है। इतना ही नहीं संतोष एक गंभीर राजनेता हैं तो रुठों को मनाने की कला के महारथी भी। संतोष गंगवार के घर जाकर भी जनता उनसे अपनी नाराजगी जता सकती है। वह अपने स्कूटर पर बैठाकर भी अपने सांसद को ले जा सकती है। अपने सांसद के साथ ऐसे संवाद को कोई दूसरा उदाहरण शायद ही हो। ऐसे में दूसरा कोई विकल्प खोजना भाजपा के लिए आसान नहीं है।

बीते दो चुनावों में बरेली सीट पर भाजपा की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी अपना वोट बैंक करीब एक लाख वोटों के आसपास बढ़ा चुकी है। समाजवाद पार्टी ने इस बार प्रवीण सिंह ऐरन को अपना प्रत्याशी बनाया है। प्रवीण सिंह ऐरन 2009 में लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। ऐरन तब कांग्रेस प्रत्याशी थे।

दूसरे सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे पूर्व विधायक छत्रपाल गंगवार बहेड़ी सीट से दो बार विधायक और एक बार प्रदेश में मंत्रीपद संभाल चुके हैं। अन्य दो बार वह बहुत ही मामूली अन्तर से विधानसभा पहुंचने से चूक गये थे। इसमें एक बार तो केवल 18 वोटों से हारे थे। जातिगत समीकरणों के मद्देनजर भी छत्रपाल को संतोष गंगवार का विकल्प माना जा रहा है।

ये है वोटों का गणित

2019 के लोकसभा के चुनाव में संतोष गंगवार एक लाख 67 हजार 282 वोटों से जीते। उनको पांच लाख 65 हजार 270 वोट मिले और सपा-बसपा की संयुक्त प्रत्याशी आयशा इस्लाम को तीन लाख 97 हजार 988 वोट। लेकिन 2022 के विधानसभा के चुनाव में आंकड़े तेजी से बदले। बरेली लोकसभा में विधानसभा की पांच सीटें आती हैं। इनमें से एक सपा ने जीती। अकेले अपने दम पर लड़ी सपा ने लोकसभा के मुकाबले अपने प्रदर्शन को बेहतर किया और इन पांच सीटों पर उसे चार लाख 90 हजार 90 वोट मिले। सपा का एक विधायक भी जीता। बाकी सभी सीटों पर सपा भाजपा के ठीक पीछे पीछे चली। यानी जहां भाजपा अपने वोटों के साथ स्थिर रही, उसके केवल 216 वोट ही बढ़े। उसको इस पूरे क्षेत्र में पांच लाख 65 हजार 486 वोट मिले। वहीं सपा को कुल चार लाख 90 हजार 90 वोट मिले और कांग्रेस को 13,881 वोट मिले। यानी मौजूदा हालत के चश्मे से देखें तो करीब एक लाख वोट ज्यादा।

इस बार भाजपा का विरोधी कुनबे का नाम है ‘इंडी एलायंस’। यह एलायंस (सपा और कांग्रेस) भाजपा से करीब एक लाख वोट ऊपर आकर खड़ा हो गया। यानि 2022 के विधानसभा चुनाव के अनुसार भाजपा और ‘इंडी एलायंस’ के बीच वोटों का अंतर घटकर महज 61 हजार वोटों के आसपास का रह गया है। हलांकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के मिजाज में अंतर होता है।

संतोष गंगवार की दावेदारी के चलते उन्हें और अन्य दावेदारों को भी दिल्ली बुलाया गया। अगर भाजपा को परिणाम चाहिए तो मजबूत प्रत्याशी ही विकल्प है। शायद, यही एंगिल भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी सोच रहा होगा। संतोष गंगवार के खिलाफ कई मजबूत दावेदार मैदान में आये हैं। जैसे मेयर डा. उमेश गौतम, पूर्व विधायक छत्रपाल गंगवार, व्यावसायी रमेश गंगवार, एक बड़े कालेज को चलाने वाले डा. हरिशंकर गंगवार, पीलीभीत से मंत्री संजय गंगवार, प्रदेश के मंत्री स्वतंत्र देव सिंह आदि। लेकिन क्या भाजपा किसी नये प्रयोग का जोखिम उठायेगी? वह भी तब जब सामने प्रवीन सिंह ऐरन हैं।

ऐसे में देखना है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व संतोष या प्रयोग में से किसको चुनता है? बाकी फैसला दिल्ली से आना है, जो 22 कि शाम तक आ जायेगा।

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