BareillyLive : कायस्थ महासभा के कल हुए संगत -पंगत कार्यक्रम में शामिल होने आए पीठाधीश्वर श्री श्री आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद पशुपति ने कार्यक्रम में भगवान चित्रगुप्त की अपमान बात कहकर बहिष्कार कर दिया। इसके बाद उन्होंने बरेली के एक निजी होटल में अपने कुछ सहयोगियों के साथ रात गुजारी और होटल में भोजन किया। मामला जैसे ही कायस्थ समाज के जिम्मेदार लोगों तक पहुंचा तो मामले ने तूल पकड़ लिया। मीडिया को इस बहिष्कार की जानकारी देते हुए स्वामी सच्चिदानंद ने बताया कि यूपी के वृंदावन में संसार की पहली चित्रगुप्त पीठ की स्थापना की जा रही है। वह वृंदावन से चरणपादुका एवं शिला के साथ आशीर्वाद यात्रा लेकर पहुंचे है ।
इस कार्यक्रम के तहत इन दिनों यूपी के हर जिले में शिला पूजन का कार्यक्रम हो रहा है। बीते दिन वह यहां के बरेली के स्थानीय आयोजक मंडल के आग्रह पर शिला पूजन के लिए बदायूं से बरेली पहुंचे थे उन्होंने कहा कि उन्हें बड़ा दुख और खेद है कि यहां के आयोजक मंडल बड़े नासमझ निकले। जब प्रभु की स्थापना होती है तब पूर्ण रूप से पूजन होता है। पहले भोग प्रभु को ही लगाया जाता है। उसके बाद ही सभी को भोजन कराया जाता है, पर यहां सिस्टम नाम की कोई चीज नहीं थी। यहां आयोजक भगवान को भूलकर अपनी महिमा मंडन में लगे रहे। कार्यक्रम में टी सीरीज के भजन गायक भी आये थे पर कार्यक्रम में केवल फिल्मी गाने चलते रहे, भजन तो चलाये ही नहीं गये, इसलिए वह वहां से वापस होटल चले आये। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ लोगों ने इस धार्मिक कार्यक्रम का राजनीति करण कर दिया।
उन्होंने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि आयोजक उनके पास खुद गाजियाबाद शिला लाने के आग्रह के साथ पहुंचे थे इसके बाद वह वृंदावन भी पहुंचे थे, वहां भी उन्होंने शिला के साथ बरेली आने का आग्रह किया था। स्वामी श्री सच्चिदानंद ने यह भी कहा कि आयोजक मंडल में जो लोग शामिल थे उनका पीठ से कोई लेना देना नहीं है। वह खुद पीठ के खर्चे पर आए है। उनकी यात्रा और जहां पर ठहरे हुए है उसका खर्चा पीठ खुद उठाती है। पीठ से उन लोगों का कोई लेना देना नहीं है। वह धर्म से जुड़ा प्रचार प्रसार करते है। पीठ अपने कार्यक्रम के लिए कोई अंशदान नहीं लेती है पर अपने भक्तों से पीठ की स्थापना में सहयोग के लिए एक दिन की आय जरूर देने की अपील करती है।
कायस्थ समाज के सपा नेता गौरव सक्सेना ने मीडिया को बताया कि उनका कार्यक्रम को लेकर कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है। उनका विरोध केवल बाहरी व्यक्ति का विरोध है। जो उनके समाज के लोगों को भ्रमित कर रहा है। उस व्यक्ति ने अपने हिसाब से कार्यक्रम भी कराया और कुछ लोगों को अपने साथ भी शामिल कर लिया।वर्तमान में वह व्यक्ति अपना जो पद बताता भी है वह पद उसके पास है ही नहीं।
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