शरद सक्सेना, आंवला (बरेली)। विश्व में आतंकवाद का एकमात्र धर्म है, वह है इस्लाम। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, यह वाक्य ही पूरी तरह से बेइमानी है। ऐसे में इस्लाम के धर्मगुरुओं को अपनी धार्मिक शिक्षाओं पर एक बार फिर विचार करना चाहिए। यह बात महामण्डलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि ने पत्रकारों से बात करते हुए कही। उन्होंने देश और समाज हित से जुड़े विभिन्न मुद्दों से बेबाकी से अपनी राय रखी।
उन्होंने कहा कि आतंवाद को खिलाफ समूचे विश्व में माहौल बन रहा है। कट्टरवाद के खिलाफ लोग इस्लामी मुल्कों में भी सड़कों पर उतर रहे हैं। सऊदी अरब हो या ईरान सभी में विकास और शांति से रहना चाहते हैं लोग। अब सरकारें कट्टरपंथी पाबंदियों को हटा रही हैं। इस्लाम को विश्व के साथ मिलकर चलना मिलकर रहना पड़ेगा।
एक प्रसंग पर बात करते हुए स्वामी यतीन्द्रानन्द ने कहा कि भारत के मुसलमान परिवर्तित मुसलमान हैं। यदि वे घर वापसी करते हैं तो उनका स्वागत समूचा हिन्दू समाज करने को तैयार है।
लव जेहाद पर बोले- भारतीय संस्कृति की परम्परा है कि जब कोई लड़की विवाह के बाद ससुराल जाती है तो उसका कुल और गोत्र बदल जाता है। ऐसे में यदि मुस्लिम लड़कियां हिन्दू लड़कों से शादी करती हैं तो हिन्दू परिवार उनका सम्मान और स्वागत करने को तैयार हैं। इसमें किसी तरह की सामाजिक वाधा नहीं आने वाली।
स्वामी यतीन्द्रानन्द जी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत में न कोई बहुसंख्यक है और न ही कोई अल्पसंख्यक। सभी भारत के नागरिक हैं। सभी समान हैं। ऐसे में सभी के लिए समान कानून होना चाहिए। देश में समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए, जिससे सभी को समान अवसर और न्याय मिल सके।
राम मंदिर मुद्दे पर स्वामी यतीन्द्रानन्द ने कहा कि देश के न्यायालयों की न्याय प्रक्रिया मुझे समझ नहीं आती है। कुछ मुद्दों पर कोर्ट एक दिन में फैसला दे देती है तो कुछ पर 40-50 साल में फैसला नहीं आता। जब सारे सबूत मौजूद हैं। सुनवाई हो चुकी है तो फिर कोर्ट को तत्काल फैसला दे देना चाहिए। यदि कोर्ट फैसला नहीं कर पा रही है तो सरकार को चाहिए कि संसद में कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण कराये।
मोदी सरकार देश में बहुत अच्छा कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र में जो नींव डाली है वह अब तक की कोई सरकार नहीं डाल सकी है। निश्चित रूप से भविष्य में मोदी की सरकार आनी चाहिए। मोदी जैसे शासक को देश की गद्दी पर कम से कम 15 साल और बैठना चाहिए।
स्वच्छता के मुद्दे पर स्वामी यतीन्द्रानन्द जी ने कहा कि यह देश हमारा है, हमें अपना देश स्वच्छ रखना ही चाहिए। वाह्य स्वच्छता के साथ ही मनुष्य में विचारों की, संस्कारों की और चरित्र की स्वच्छता भी हो चाहिए। बच्चों के पाठ्यक्रम में भी स्वच्छता शामिल होना चाहिए। जिससे स्वच्छता का संस्कार बच्चों में विकसित हो सके।
पॉलिथिन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध की वकालत करते हुए स्वामी जी ने कहा कि पॉलिथिन देश और पर्यावरण के लिए अत्यन्त घातक है। इसके अधिक उपयोग से धरती बंजर हो जा रही है। इस पर पूरे देश में प्रतिबंध लगना चाहिए।
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