Bareillylive : महंत राजूदास के बयान को लेकर पंडित सुशील पाठक ने कहा कि हम हिन्दू सनातनी भारतीय हैं, और भारत की आत्मा उसका संविधान है। संविधान हमें धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान करता है। महंत राजूदास जी का हम आदर और सम्मान करते हैं, क्योंकि उन्होंने हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे अयोध्या की हनुमान गढ़ी के प्रमुख महंत हैं और ऐसे ईष्ट की आराधना करते हैं, जो हम सभी सनातनियों के भीतर विद्यमान हैं। महंत राजूदास द्वारा मुलायम सिंह के संदर्भ में व्यक्त किए गए शब्द किसी राजनीतिक मंशा से प्रेरित नहीं थे, बल्कि आवेश में बोले गए थे। हालांकि, कुछ राजनीतिक लोग इसका विरोध कर रहे हैं। यह सच है कि मुलायम सिंह जी, जो अब दिवंगत हो चुके हैं, उनके कृत्यों की मृत्यु के बाद समीक्षा और आलोचना हो सकती है। यह भी स्पष्ट करना आवश्यक है कि भारतीय हिंदू और सनातन धर्म हर उस व्यक्ति के योगदान को नहीं भूल सकते, जिनकी वजह से भगवान रामलला आज अयोध्या में विराजमान हैं। उन हजारों कारसेवकों का बलिदान, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी और जेल में कष्ट सहे, सदा स्मरणीय रहेगा। उस समय की राजनीतिक परिस्थितियां और कारसेवकों पर की गई गोलीबारी को भुलाया नहीं जा सकता। हालांकि, महंत राजूदास जी की हालिया टिप्पणी से हम पूरी तरह सहमत न हों, लेकिन हजारों कारसेवकों के नरसंहार को उचित ठहराना असंभव है। भगवान रामलला जब तक अयोध्या में विराजमान हैं, तब तक यह स्मृति हमें प्रेरित करती रहेगी।

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