मकर-संक्रान्ति 2024 : हिन्दू पर्व निर्णय के अनुसार सूर्य मकर राशि में जिस दिन प्रवेश करता है, उस दिन मकर संक्रान्ति मनाई जाती है। यदि सूर्य मकर राशि में सूर्योदय से पूर्व प्रवेश करें तो मकर संक्रान्ति पहले दिन ही मनाई जायेगी। इस वर्ष 2024 में दिनाँक 14 जनवरी रात्रि बाद अगले दिन प्रातः 4:43 बज़े सोमवार को मकर संक्रान्ति होना विशेष महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन पंचक भी है इस वर्ष संक्रान्ति अयन संक्रान्ति होने के कारण अति महत्वपूर्ण है इस वर्ष सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश निरयण गणना के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रान्ति के समय अति शुभ फल देने वाली “पंचमी तिथि भी रहेगी।जिसका फल शुभ होना बताया गया है।
शनि प्रकोप से मुक्ति पाने का पर्व मकर संक्रान्ति–ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रान्ति के स्वामी सूर्ये पुत्र शनि देव है। शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए इस दिन की गई सूर्यो उपासना महाशुभ है।
इस दिन तीर्थों पर स्नानादि का विशेष महत्व है।निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण कर स्नान करें:-
गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरि जलेस्मिन संनिधि कुरु।
मत्स्य पुराण के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन सूर्योपासना के साथ यज्ञ, हवन एंव दान को पुण्य फलदायक माना गया है। शिव रहस्य ग्रन्थ में मकर संक्रान्ति के अवसर पर हवन पूजन के साथ खाद्य वस्तुओं में तिल एवं तिल से बनी वस्तुओं का विशेष महत्व बताया गया है। पुराणों के अनुसार मकर संक्रान्ति सु:ख शान्ति, वैभव, प्रगति सूचक, जीवों में प्राण दाता, स्वास्थ्य वर्धक, औषधियों के लिए वर्णकारी एवं आयुर्वेद के लिए विशेष है। यदि संक्रान्ति दिन में हो तो प्रथम तृतीयांश में क्षतियों को, दूसरे तृतीयांश में ब्राह्मणों को, तीसरे तृतीयांश में वैश्यों को और सूर्यास्त के समय की संक्रान्ति शूद्रों को कष्टप्रद होती है। इसी प्रकार रात्रि के प्रथम प्रहर की संक्रान्ति घृणित कर्म करने वालो को, दूसरे प्रहर की संक्रान्ति राक्षसी प्रवृत्ति के लोगों को, तीसरे प्रहर की संक्रान्ति संगीत से जुड़े लोगों को, चौथे प्रहर की संक्रान्ति किसान, पशुपालक, मज़दूरों के लिए दुखदायिनी होती है। मकर संक्रान्ति प्राय: माघ मास में आती है परन्तु इस वर्ष मकर संक्रान्ति पौष माह में पड़ रही है।
मकर संक्रान्ति का पुण्य काल
मुहुर्त चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार सूर्य के संक्रान्ति से 40 घटी पहले और 40 घटी बाद तक पुण्य काल माना जाता है अत: महापुण्य काल अपरान्ह 02:38 बजे तक एवं पुण्यकाल सूर्यास्त तक रहेगा।
मकर संक्रान्ति का दान:-
मकर संक्रान्ति के दिन स्नान, दान का अति विशेष महत्व है पदमपुराण के अनुसार इस संक्रान्ति में दान से करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान सूर्य को लाल वस्त्र, गेंहू, गुड़, मसूरदाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लालफल, लालफूल, नारियल, दक्षिणा आदि सूर्य दान का शास्त्रों में विधान है। इस संक्रान्ति के पुण्य काल में किये गये दान-पुण्य सामान्य दिन के दान-पुण्य से करोड़ गुना फल देने वाले होता है।
मकर संक्रान्ति का महत्व:-
शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि कर्क संक्रान्ति के समय सूर्य का रथ दक्षिण की ओर मुड़ जाता है। इससे सूर्य का मुख दक्षिण की ओर तथा पीठ हमारी ओर होती है। इसके विपरीत मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य का रथ उत्तर की ओर मुड़ जाता है अर्थात् सूर्य का मुख हमारी ओर (पृथ्वी की तरफ) हो जाता है। फलत: सूर्य का रथ उत्तराभिमुख होकर हमारी ओर आने लगता है। सूर्यदेव हमारे अति निकट आने लगते है। मकर संक्रान्ति सूर्य उपासना का अत्यन्त महत्वपूर्ण, विशिष्ट एवं एकमात्र महापर्व है। यह एक ऐेसा पर्व है जो सीधे सूर्य से संबंधित है। मकर से मिथुन तक की 6 राशियों में 6 महीने तक सूर्य उत्तरायण रहते हैं तथा कर्क से धनु तक की 6 राशियों में 6 महीने तक सूर्य दक्षिणायन रहते हें। कर्क से मकर की ओर सूर्य का जाना दक्षिणायन तथा मकर से कर्क की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है। सनातन धर्म के अनुसार उत्तरायण के 6 महीनों को देवताओं का एक दिन और दक्षिणायन के 6 महीनों को देवताओं की एक रात्रि माना गया है।
मकर संक्रान्ति पर क्या करें:-
मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल तिल का तेल तथा उबटन लगाकर स्नान करना चाहिये, तिल के तेल मिश्रित पानी से स्नान करना, तिल का उबटन लगाना, तिल से होम करना, तिल डालकर जल पीना, तिल से बने पदार्थ खाना तथा तिल का दान देना-ये छ: कर्म तिल से ही करने का विधान है, प्रात: स्नान करने के पश्चात् सूर्य के सामने जल लेकर संकल्प करें, फिर बेदी पर लाल कपड़ा बिछाकर चंदन या अक्षतों का अष्ट दल कमल बनाकर उसमें सूर्य नारायण की मूर्ति स्थापित कर उनका स्नान, गंध, पुष्प, धूप, तथा नैवेध से पूजन करें तथा “ॐ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें, साथ ही आदित्य ह्नदय स्त्रोत का पाठ कर घी, शक्कर तथा मेवा मिले हुये तिलों का हवन करें इनका दान भी करें। इस दिन धृत, कम्बल के दान का भी विशेष महत्व हैं। इस दिन किया गया दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का दो-गुना महत्व है। इस दिन इस व्रत को खिचड़ी कहते है। इसलिये इस दिन खिचड़ी खाने तथा खिचड़ा तिल दान देने का विशेष महत्व मानते है।
–मकर संक्रान्ति पर अशुभ ग्रहों को करें अनुकूल:-
मकर संक्रान्ति के पावन पर्व पर पूजा, दान, व्रत करने के अतिरिक्त कुण्डली के कमज़ोर ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिये उनसे सम्बन्धित दान करके उनके अशुभ फलों को कम करके शुभ फलों में वृद्धि कर सकते हैं।
1.*सूर्य ग्रह के कमज़ोर होने पर:- गेहूँ, स्वर्ण, तांबा, बर्तन, गुड़, गाय, लाल वस्त्र लाल फूल, लाल चंदन आदि वस्तुओं का दान किसी गरीब ब्राह्मण आदि को दें।
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