बताया कि दूध का सार तत्व माखन है। श्रीकृष्ण ने गोपियों के घर से केवल माखन चुराया अर्थात् सार तत्व को ग्रहण किया और असार को छोड़ दिया। प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साध्न और सामर्थ्य को अपव्यय करने की अपेक्षा हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करना चाहिए।
उस ईश्वर, ध्येय को प्राप्त करने का केवल एक ही माध्यम है। जिसके बारे में यक्ष ने भी यिुध्ष्ठर से प्रश्न किया? तो यिुध्ष्ठर ने कहा महापुरुषों के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना होगा यानि उस ध्येय की प्राप्ति के लिए हमें भी किसी ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरु की शरण में जाना होगा। साध्वी जी ने होली महोत्सव की भी चर्चा करते हुए कहा कि जीवन की कालिमा सुंदर भक्ति रंग से ही दूर की जा सकती है। आज तो पूरा पंडाल ही फाग की मस्ती में झूमता और प्रभु रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा था। कथा के मुख्य यजमान प्रताप चन्द्र सेठ, राजेश जौली, जय अग्रवाल, मोहन अग्रवाल, निशान्त अग्रवाल, प्रेम प्रकाश अग्रवाल, प्रवीन भारद्वाज आदि उपस्थित रहे।
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