BareillyLive: मानव सेवा क्लब के तत्वावधान में स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक क्रांतिकारी अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल की 126 वीं जयंती पर एक कार्यक्रम का आयोजन मुकेश कुमार सक्सेना के महानगर स्थित आवास पर हुआ। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो.राजेन्द्र भारती ने बिस्मिल के योगदान को सराहा और कहा कि देश को आजाद कराने में बिस्मिल जी बहुत महत्वपूर्ण रोल रहा। 11 वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। 11 पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं।

मुख्यवक्ता इन्द्रदेव त्रिवेदी ने कहा कि रामप्रसाद बिस्मिल बहुत ही निर्भीक क्रांतिकारी थे। साथ ही वे एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र बीनू सिन्हा ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें 30 वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। काकोरी कांड में अंग्रेजों का खजाना लूटने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।

गोष्ठी में मुकेश सक्सेना, एस. के.शर्मा, शोभा सक्सेना, इं-ए. एल.गुप्ता, प्रो.सुनील कुमार शर्मा, प्रो. प्रमिला शर्मा, रश्मि उपाध्याय, कुसुम लता गुप्ता ने उनके प्रसंग साझा करते हुए बिस्मिल को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये।

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