मातृ-पितृ पूजन दिवस
बरेली के बाबा त्रिवटी नाथ मंदिर में आयोजित मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम का एक दृश्य।
मातृ-पितृ पूजन दिवस
बरेली में मातृ-पितृ पूजन करते लोग।

बरेली/हरिद्वार। संत आशाराम के अनुयायियों ने बुधवार को विश्वभर में मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया। बरेली, हरिद्वार, दुबई और सिंगापुर सभी जगह बच्चों ने अपने माता-पिता का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

मुख्य आयोजन हरिद्वार में संतश्री आशारामजी बापू आश्रम में “पूजन करूँ मैं मात-पिता का, निज संस्कृति अपनाऊँ मैं, गुरुवर के संकेत पे चलकर जीवन सफल बनाऊँ मैं” के संदेश के साथ किया गया। सर्वप्रथम बच्चों ने माता-पिता के मस्तक पर तिलक लगाकर फूल-हार से उनका पूजन व आरती की। फिर माता-पिता ने भी बच्चों को तिलक लगाकर उनके सिर पर पुष्प रखे और उन्हें मिठाई खिलाई। पूजन का यह दृश्य इतना भावपूर्ण था कि लोग अपने आँसुओं को बहने से नहीं रोक पाये।

आश्रम की मीडिया प्रभारी अलका शर्मा ने बताया कि “वैलेंटाइन डे” मनाकर अपना चारित्रिक व नैतिक पतन करने वाले युवाओं को यह पवित्र दिवस संदेश है। संदेश यह है कि भारतीय संस्कृति को अपनाकर दिव्य प्रेम की सुवास को चारों ओर फैलाओ नाकि विदेशों की गंदगी अपने यहां लाओ।“यह पहल ऐसी क्रान्ति ला रही है कि पूरे विश्व में बड़ी संख्या में लोग इस पर्व को मनाने लगे हैं।

बरेली में कार्यक्रम का आयोजन योग वेदांत सेवा समिति ने बाबा त्रिवटी नाथ मंदिर में किया गया। कार्यक्रम संयोजक भानु भाई ने बताया कि भारतीय संस्कृति में माता-पिता को ईश्वर तुल्य बताया गया है। माता-पिता से ही बच्चों को अस्तित्व होता है। ऐसे में उनका पूजन उनका उनके प्रति कृतज्ञता जताने का सही तरीका है।

कार्यक्रम में अखिलेश कुमार अग्रवाल, आनंद वशिष्ठ, देवेंद्र सोलंकी, शशांक पाण्ड्य, सौरव शर्मा, सचिन भारतीय, ओझा बहन, राकेश अग्रवाल, राधा गुप्ता, अशोक सक्सेना, मनोज अग्रवाल, संजीव जौहरी, संदीप अग्रवाल, नारायण दत्त पांडेय, विनय अग्रवाल, राजेन्द्र अग्रवाल आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।

मातृ-पितृ पूजन दिवस
हरिद्वार में मातृ-पितृ पूजन करते लोग।
मातृ-पितृ पूजन दिवस
सिंगापुर में मातृ-पितृ पूजन करते लोग।
मातृ-पितृ पूजन दिवस
दुबई में मातृ-पितृ पूजन करते लोग।

विश्व के कई देशों में भी हुआ आयोजन

भारत के अलावा विश्व के कई अन्य देशों में भी मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया गया। सिंगापुर, मलेशिया, शारजाह, आबुधाबी, अमेरिका, कनाडा आदि में भी भारतीय मूल के बच्चों ने अपने माता-पिता का पूजन कर आशीर्वाद लिया।

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