Bareillylive : ब्रह्मपुरी में चल रहीं ऐतिहासिक 164 वीं रामलीला में आज गुरु व्यास मुनेश्वर जी ने लीला के साथ-साथ वर्णन किया कि कुंभकर्ण के मारे जाने के बाद पुनः रावण ने अपने पुत्र मेघनाद को युद्धभूमि में भेजा, मेघनाद एक ऐसा योद्धा था जिसका वध करना साधारण मानव तो क्या स्वयं देवताओं, गंधर्व, दानवों इत्यादि के लिए भी असंभव था। वह अपने पिता व लंका के राजा रावण से भी अत्यधिक शक्तिशाली था। जब रावण प्रथम बार युद्धभूमि में गया था तब भगवान श्रीराम से पराजित होकर वापस लौटा था किंतु मेघनाद ने तीन दिनों तक भीषण युद्ध किया था। प्रथम दिन उसने श्रीराम व लक्ष्मण को नागपाश में बांध दिया था जिसे गरुड़ देवता के द्वारा मुक्त करवाया गया था। द्वितीय दिन उसने लक्ष्मण को शक्तिबाण से मुर्छित कर दिया था जिसके बाद संजीवनी बूटी के कारण उनके प्राणों की रक्षा हो पायी थी। मेघनाद को इंद्रजीत की उपाधि स्वयं भगवान ब्रह्मा ने दी थी व साथ ही एक वर दिया था।

उसी वर के फलस्वरूप वह निकुंबला देवी का यज्ञ कर रहा था जिसके संपूर्ण होने के पश्चात उसे हराना असंभव था। इसलिए लक्ष्मण ने उसका यह यज्ञ विफल कर दिया था। भगवान ब्रह्मा ने मेघनाद को वर देते समय बताया था कि जो कोई भी उसका यज्ञ पूर्ण होने से पहले विफल कर देगा उसी के हाथों उसकी मृत्यु होगी। भीषण युद्ध के अंत में लक्ष्मण ने एक बाण उठाया व उसे मेघनाद पर छोड़ने से पहले उस बाण को प्रतिज्ञा दी कि यदि श्रीराम उसके भाई व दशरथ पुत्र है, यदि श्रीराम ने हमेशा सत्य व धर्म का साथ दिया है, यदि श्रीराम अभी धर्म के लिए कार्य कर रहे है, यदि मैंने श्रीराम की सच्चे मन से सेवा की है तो तुम मेघनाद का गला काटकर ही वापस आओगे यह कहकर लक्ष्मण ने मेघनाद पर तीर छोड़ दिया। जिससे उसका सर धड़ से कटकर अलग हो गया। इस प्रकार अत्यंत पराक्रमी योद्धा मेघनाद के जीवन का अंत हो गया।

मेघनाद की पत्नी सुलोचना शेषनाग वासुकी की पुत्री थी चूँकि लक्ष्मण शेषनाग के ही अवतार थे इसलिये वे सुलोचना के पिता व मेघनाद के ससुर लगते थे। युद्धभूमि में जब मेघनाथ लक्ष्मण के हाथो वीरगति को प्राप्त हो गया था तब सुलोचना अपने पति के शरीर के साथ सती हो गयी। सुलोचना के आँख में एक भी आंसू नही था और वह अपने पति को गर्व से देख रही थी। हालाँकि उसे भी पता था कि आज उसका अपने पति के साथ अंतिम मिलन है लेकिन एक पतिव्रता व कर्तव्यनिष्ठ नारी होने के कारण उसने अपने पति को युद्ध में जाने से पूर्व उनके कर्तव्य में उनका साथ दिया व अपनी आँख से एक भी आंसू नही गिरने दिया। भगवान राम भी इस बात को जानते थे इसलिए जब जब लक्ष्मण मेघनाद का वध करने जाने लगे तब राम ने लक्ष्मण से कहा कि चूँकि सुलोचना एक पतिव्रता नारी है इसलिये मेघनाद का मस्तक भूमि पर ना गिरे। इसलिये जब लक्ष्मण ने मेघनाद का मस्तिष्क काट कर धड़ से अलग कर दिया तो उसे श्रीराम के चरणों में रख दिया।

प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने बताया कि कल रामलीला में रावण बध लीला व दशहरा मेला का आयोजन होगा। अध्यक्ष सर्वेश रस्तोगी ने कल हुए कुंभकर्ण दहन में सहयोग के लिए सबका आभार व्यक्त किया।