बरेली। डीडी पुरम् स्थित मेहता सर्जिकल पर हुई छापेमारी में बड़ी खामियां मिलने के बाद औषधि विभाग ने प्रतिष्ठान को सील कर दिया पर नोटिस चस्पा करना “भूल” गया। साथ ही एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस को जो तहरीर दी गई है, उसमें दुकान के स्वामी बताए जा रहे अजय मेहता का नाम नहीं है। विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे तो सहायक आयुक्त ड्रग संजय कुमार ने कहा कि जांच आख्या में अजय मेहता और सुशांत का नाम दिया गया है। लाइसेंस उनकी पत्नी के नाम है, इसलिए नाम पुलिस विवेचना में खुलना तय है। लाइसेंस की एक कॉपी भी पुलिस को उपलब्ध कराई जाएगी।
विवेचक मनोज कुमार वर्मा के मुताबिक, मौका मुआयना के बाद पहला पर्चा काटा गया है। दूसरे पर्चे में मेहता सर्जिकल की लाइसेंसधारक अजय मेहता की पत्नी का नाम खोला जाएगा क्योंकि लाइसेंस लेने वाला मुख्य आरोपित होगा। इसके बाद प्रतिष्ठान पर मौजूद मिले अजय मेहता, सुशांत मेहता समेत अन्य साझेदारों के नाम खोले जाएंगे। फिलहाल आरोपियों की लोकेशन पुलिस नहीं निकाल सकी है। वहीं शनिवार को ड्रग इंस्पेक्टर उर्मिला ने थाने पहुंचकर पुलिस से वादी बनाए जाने पर सवाल किए। इस पर विवेचक मनोज का कहना है कि ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की धाराओं में यह मामला नहीं है। इसलिए आपको वादी बनाया जा सकता है।
कोरोनाकाल में मुनाफखोरी को लेकर चर्चित हुए मेहता सर्जिकल को ड्रग विभाग ने सील कर दिया है लेकिन नोटिस चस्पा नहीं किया है। ड्रग इंस्पेक्टर का कहना है कि दुकान पर नोटिस विभाग नहीं, पुलिस चस्पा करेगी। अजय मेहता को क्रय-विक्रय के दस्तावेज पेश करने के लिए सोमवार तक का समय दिया गया है। सहायक आयुक्त ड्रग संजय कुमार के मुताबिक, नियमानुसार अगर प्रतिष्ठान स्वामी हमसे समय मांगे तो उसको दस्तावेज दिखाने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया जाता है। ऐसा नहीं होने पर लाइसेंस कम से कम तीन महीने के लिए निलंबित और बाद में रद्द हो सकता है।
ड्रग इंस्पेक्टर की जांच आख्या में वैध लाइसेंस न होने का उल्लेख
-मेहता सर्जिकल प्रतिष्ठान में मौके पर अजय मेहता और सुशांत मेहता मौजूद थे। सोडियम हाइपोक्लोराइड, सोडियम-डी80, इंस्टेंट हैंड सैनिटाइजर, आइसोलेशन प्रोटेक्शन किट, पीपीई किट गाउन, डेड बॉडी कवर बैग, प्रपोजल हैंड रब इत्यादि का भंडारण पाया गया जिसका मौके पर कोई क्रय अभिलेख नहीं दिखाया जा सका।
-इस आपदाकाल में उनके द्वारा धोखाधड़ी की जा रही है जोकि महामारी अधिनियम के अंतर्गत आता है। उपरोक्त चिकित्सीय सामग्री का प्राप्त स्थान पर कोई वैध लाइसेंस फर्म स्वामी द्वारा नहीं दिखा जा सका।
-औषधि विभाग द्वारा ऐसा कोई वैध लाइसेंस मेहता सर्जिकल को जारी नहीं किया गया है जिसके आधार पर भंडारण या पैकिंग की जा सके।
एसडीएम की आख्या में कहा गया- एक्सपायरी माल खपाने की मंशा
-मास्क, पीपीई किट, डेड बॉडी कवर, आइसोलेशन प्रोटेक्शन किट, ग्लब्स, सैनिटाइजर समेत अन्य वस्तुआें की सूची फार्म 16 और 17 में दर्शाई गई लेकिन क्रय अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गए। माना गया कि उपकरणों की खरीद में वित्तीय, प्रशासकीय और कर संबंधित नियमों की अनदेखी हुई है।
-पीपीई किट, सैनिटाइजर व अन्य उपरकण बिना लेबल के पाए गए। मौके पर फर्म के कर्मचारी इन उपकरणों को री-लेबलिंग और री-पैकेजिंग करते हुए पाए गए। माना गया कि फर्म एक्सपायरी डेट के उपकरणों को बाजार में खपाना चाहती थी।
-अवैध रूप से संचालिक गोदाम और लाइसेंस संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके।
-ये भी माना गया कि निम्नगुणवत्ता के सामान को अधिक दर पर विक्रय करने और मुनाफाखोरी का प्रयास किया गया।
-फर्म से पिछले दो महीने में बेचे गए गए सर्जिकल उपकरणों के विक्रय अभिलेख, बिलबुक मांगे गए। उन्होंने प्रस्तुत करने में असमर्थता जता दी।