रुहेलखंड विश्वविद्यालयबरेली। एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने हॉस्टल के लिए नियमों को और सख्त बना दिया है। अब छात्र तो किसी बाहरी को प्रवेश दे सकेंगे और न ही हॉस्टल में बाइक ले जा सकेंगे। हॉस्टलर्स के साथ ही डे-बोर्डिंग के विद्यार्थियों को भी कड़े नियमों का पालन करना होगा। बता दें कि बीते सत्र में कई बार बाइकों और बाहरी छात्रों को लेकर विवाद हुए। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन विवादों पर लगाम लगाने के लिए नियमों में परिवर्तन किये हैं।

सबसे खास यह है कि हॉस्टल में बाइक रखने पर भी विश्वविद्यालय ने पाबंदी लगा दी है। डे-बोर्डिंग वाले छात्र हॉस्टल में किसी से मिलने नहीं जा सकेंगे। छात्रों को सख्त निर्देश दिया गया है कि उन्हें जिससे भी मिलना है, उससे कैंपस और क्लास में ही मिल लें। हॉस्टल तक आने की जरूरत नहीं। पिछले साल नवीन छात्रावास के साथ मुख्य छात्रावास में भी कई बार विवाद हुए। नवीन छात्रावास में एक बाहरी छात्र को बुरी तरह पीटा गया जिससे माहौल खराब हुआ। इस सत्र में हॉस्टल में कमरों के आवंटन के दौरान छात्रों से नए नियमों का पूरी तरह पालन करने के बाबत घोषणा पत्र भी लिया जा रहा है। बता दें कि हॉस्टल में ज्यादातर छात्र बाइक रखते है। हॉस्टल के मैदान पर फर्राटा भरते वक्त अक्सर विवाद भी होते रहे हैं।

एडवांस जमा करनी होगी 10 महीने की मेस फीस

पहले छात्र मेस की मासिक फीस देते थे। इस बार विश्वविद्यालय दस माह की मेस फीस एडवांस ले रहा है। छात्रों को 2200 प्रतिमाह के हिसाब से 22 हजार रुपये जमा करने होंगे। हास्टल प्रशासन का तर्क है कि छात्र घरों से तो मेस फीस ले आते हैं लेकिन हॉस्टल में जमा नहीं करते। कई बार अभिभावकों को बुलाया गया तो पता चला कि मेस फीस छात्रों ने खर्च कर ली। इसलिए पूरे साल की फीस एडवांस ली जा रही है।

सोलर एनर्जी से जगमगाएगा पूरा कैंपस

पूरा कैंपस सोलर एनर्जी से जगमगाएगा। विभागों और प्रशासनिक भवन की छत पर सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। सोलन एनर्जी प्लांट से एक हजार किलोवाट बिजली पैदा होगी। विश्वविद्यालय इसे स्टोर भी करेगा ताकि रात में इसका प्रयोग किया जा सके। सख्ती के साथ इस बार हॉस्टलों में सुविधाएं भी बढ़ाई जा रही है। प्रत्येक हॉस्टल में भी सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं ताकि छात्रों को बिजली की दिक्कत नहीं होगी। सोलर वाटर हीटर भी लग रहे हैं ताकि सर्दियों में छात्रों को नहाने के लिए गर्म पानी मिल सके। इसके अलावा खाना रखने के लिए स्टील के कंटेनर लिए जाएंगे। इसमें में खाना परोसा जाएगा। थालियां भी बदली जा रही है। बता दें कि विश्वविद्यालय में साढ़े तीन से चार करोड़ कीमत की बिजली की सालाना खपत होती है। इस खर्च का बोझ अब कम हो जाएगा।

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