बरेली। आज ही के दिन गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। नरेंद्र मोदी ने पीएम बनते वक्त भ्रष्टाचार, महंगाई और यूपीए सरकार की नाकामियां गिना कर ‘अच्छे दिन आएंगे‘ का वादा किया। सबको लगा वाकई अच्छे दिन आ गए। लेकिन आटोमाबाइल फयूल के दामों में लगातार बढ़ोत्तरी और नई सरकार की ओर से किसी भी नई योजना का शिलान्यास नहीं होने से अच्छे दिन कब आएंगे का सवाल उठने लगा है।
सरकार ने पूरा साल अलग-अलग परियोजनाओं के फीते काटते हुए बिता दिए और लोगों ने विभिन्न घर चलाने के लिए जरूरी हुए विभिन्न तरह के आॅन लाइन रजिस्टर्ेशन की लाइन में खड़े होकर। सवाल यह कि सरकार अपनी किसी नई योजनाओं का शिलान्यास कब करेगी।
अब जरा आटोमोवाइल्स के फ्यूल के दामों की ही बात करें तो यूपीए शासनकाल में पेट्रोल. डीजल की रोजाना बढ़ती थी। तब कीमतों पर नरेंद्र मोदी ने यूपीए पर तंज कसा था कि ‘पेट्रोल-डीजल के दाम नसीब से कम होते हैं‘।
मोदी का यह तंज आज मोदी सरकार पर ही भारी हो रहा है। सरकार ने दाम एक साल में तकरीबन वहीं लाकर छोड़े हैं, जहां एक साल पहले की यूपीए सरकार में थे।
बीते 15 दिन में दो बार दाम बढ़ाकर सरकार ने साबित कर दिया कि वह इस मामले में यूपीए सरकार की तरह ही है। आंकड़े गवाह हैं कि कच्चा तेल सस्ता होने के बाद भी सरकार कीमतों पर नियंत्रण नहीं रख पा रही। अब विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने यहां तक तंज कस दिया कि 15 दिन में दो बार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाकर सरकार ने देश को एक साल पूरे होने का गिफ्ट दिया है।