बरेली। नगर निगम ने अपनी भूमि पर प्रेमनगर क्षेत्र में बने धर्मदत्त आयुर्वेद चिकित्सालय को खाली करवाकर उस पर कब्जा ले लिया। यहां निगम ने आपना कार्यालय खोल दिया। धर्मदत्त सिटी हाॅस्पिटल को खाली करने के लिए एक माह का समय दिया गया है। साथ ही इस भूमि पर अन्य कई सरकारी दफ्तर भी अवैध रूप से किराये पर चल रहे हैं, उन्हें खाली जगह खाली करने को 15 दिन की मोहलत दी गयी है। कार्रवाई के लिए गुरुवार को नगर आयुक्त शीलधर यादव, अपर नगर आयुक्त ईश शक्ति सिंह, महापौर डा. आईएम तोमर, पूरी टीम के साथ दोपहर में धर्मदत्त अस्पताल पहुंचे थे।
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार इस जमीन की लीज की सीमा काफी समय पहले खत्म हो चुकी थी और अनेको बार इस जगहो खाली कराने के लिए चिकित्सालय के प्रबंधको को सूचना दी जा चुकी थी। वही चिकित्सालय के डाक्टर रश्मिवाला ने बताया कि चिकित्सालय में मरीज भर्ती है ऐसे में मरीजो को काफी परेशानी उठानी पड़ी। चिकित्सालय के फार्मासिस्ट अशोक कुमार ने निगम के टीम अधिकारियों से सामान हटाने के लिए एक घंटे की महोलत मांगी थी। मगर निगम कर्मियों ने मोहलत न देकर सामान को बाहर फेंकना शुरू कर दिया।
निगम के अधिकारियों ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि नगर निगम द्वारा कब्जा लेने का पहले भी प्रयास किया गया था उस समय भी मोहलत दी गई थी। यह सभी लोग जानते है कि यह चिकित्सालय निगम की जमीन पर अवैधरूप से कब्जा करके बना हुआ है। उन्होंने कहा कि अब नगर निगम की टीम इसके बाद धर्मदत्त वैध चिकित्सालय पर कब्जा करने की तैयारी में जुटा है।
अस्पताल के एक हिस्से में राजकीय महिला आयुर्वेदिक चैरिटेबिल संस्थान चल रहा था। इस पर भी कब्जा ले लिया और बाहर जोनल कार्यालय पर बोर्ड लगा दिया। उन्होंने इस कार्यालय का समान जब्त किया और अपनी जोनल कार्यालय की सम्पत्ति रखवा दी। इसी संस्थान में क्षेत्रीय पूर्ति कार्यालय, उप निदेशक राजकीय बीज प्रमाणित संस्थान, लधु सिचाई अधीशासी कार्यालय तथा बाल विकास परियोजना कार्यालय रैंट पर चल रहे थे।
इसी संस्थान में एक नर्सरी भी चलायी जा रही थी। इन सरकारी संस्थानों को खाली करने का आदेश देते हुए पन्द्रह दिन का समय दे दिया गया है। नर्सरी को गाधी उद्यान में भेजने के आदेश दिये गये हैं, जबकि धर्मदत्त सिटी अस्पताल को खाली करने के लिये एक माह की मोहलत दी गई है। इसी अस्पताल को एक हिस्सा काट कर राजकीय महिला आयुर्वेदिक संस्थान खोला गया था।
नगर आयुक्त ने बताया कि वर्ष 1949-52 में नगर निगम द्वारा धर्म दत्त सिटी आयुर्वेदिक अस्पताल को भूखण्ड संख्या 82-85, 86-89 तक संस्थान को लीज पर दी गई थी। इसका नवीनीकरण तीस वर्ष बाद होना था। दोबारा इसका नवीनीकरण नहीं कराया गया। दस रूपये सालाना इसका किराया था जो कभी जमा नहीं किया गया। तब इस मामले को चैरेटेबिल अस्पताल को सिविल कोर्ट ने उनके मुदकमे को खामियों पर खारिज कर दिया गया। तब हाईकोर्ट इलाहबाद ने वर्ष 2011 में याचिका खारिज करते हुए लाइसंेस निरस्त कर दिया।
सीएमओ को एक माह में कार्रवाही का आदेश दिया। तब से यह मामला लम्बित था। जनहित में नगर निगम द्वारा कार्रवाई नहीं की जा रही थी और समय दे दिया जा रहा था। उक्त स्थान खाली न कर पाने की स्थिति में अधिकारियों के सहयोग से खाली करवा लिया गया।