आंवला (बरेली)। कोई बंदर नहीं है, है नाम बांद्रा… चर्च का गेट है, चर्च है लापता…सोने-चांदी की गगरिया तू देख बबुआ…ई है बम्बई नगरिया… तू देख बबुआ…। कई दशक पूर्व फिल्माया गया ‘डॉन’ का यह गीत इन दिनों अपनी आंवला नगरिया पर पूरी तरह फिट बैठता है। यहां पार्किंग शुल्क के नाम पर उगाही करने वाला ‘डॉन’ भी गा रहा है… कोई पार्किंग नहीं है, पर शुल्क है लागू… ई है आंवला नगरिया, शुल्क दो बबुआ…।
बता दें कि पिछले सप्ताह आंवला नगर पालिका से करीब 13 लाख रुपये में पार्किंग का ठेका हुआ। खुली बोली में यह ठेका योगेश कुमार के नाम हुआ। ठेका लेने के बाद ठेकेदार ने पूरे नगर पालिका क्षेत्र में आने-जाने वाले वाहनों से डण्डों के बल पर वसूली शुरू कर दी। ‘बरेली लाइव’ ने इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाया तो आंवला नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने ठेकेदार को एक नोटिस जारी कर दिया कि पार्किंग शुल्क की वसूली शासनादेश के अनुसार ही हो। अन्यथा ठेकेदार के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।
अधिशासी अधिकारी से जब पूछा गया कि पार्किंग के लिए नगर पालिका ने कौन सा स्थान नियत किया है तो वे सवाल को टाल गये। बोले- मैं लखनऊ मीटिंग में आया हूं। इस बारे में टैक्स कलक्टर बता सकते हैं।
अधिशासी अधिकारी के इस पत्र से यह तो साफ हो गया कि ठेकेदार अवैध वसूली कर रहा था। लोगों का कहना है कि जब पार्किंग का स्थान ही नियत नहीं है तो पार्किंग शुल्क किस बात का लिया जा रहा है। बिना सुविधा का उपभोग करे व्यक्ति से शुल्क वसूलना सीधे तौर पर उगाही है। सूत्र बताते हैं कि इस वसूली के खिलाफ कुछ लोग अदालत की शरण में गये हैं। तो अनेक लोगों ने इस पार्किंग शुल्क को अवैध वसूली बताते हुए मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायतें भेजी हैं।
वहीं व्यापार मण्डल द्वारा भी इस सम्बन्ध में विरोध की योजना बनाई जाने लगी। बीती 10 सितम्बर को भारत बंद के दौरान सपा व कांग्रेस ने अपने प्रर्दशन में इस ठेकेदारी और वसूली का विरोध किया था। इस सबसे पालिका पर ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बन गया था। इसी क्रम में अधिशासी अधिकारी ने ठेकेदार योगेशकुमार को नोटिस जारी किया।
पहले भी कोर्ट से स्थगित हो चुकी है पार्किंग के नाम पर ये वसूली
बता दें कि करीब ढाई दशक पूर्व बरेली जिला परिषद ने अपनी आय बढ़ाने के नाम पर इसी प्रकार से पड़ाव शुल्क (पार्किंग शुल्क) के नाम पर बैरियर लगाकर, वसूली शुरू की थी। इसमें जिले की सीमा में वाहन घुसने पर शुल्क वसूला जाने लगा। आंवला क्षेत्र का बैरियर भमोरा-बरेली मार्ग पर लगाया गया था। वरिष्ठ पत्रकार राकेश मथुरिया बताते हैं कि तब उस जबरन वसूली के खिलाफ जनहित में लड़ाई लड़ी और मामले को न्यायालय ले गये। अदालत के आदेश पर जिला परिषद को वसूली रोकनी पड़ी।
जीप एण्ड टैक्सी एसोसिएशन गयी थी न्यायालय : डॉ. निर्दोष
तत्कालीन मामले में कोर्ट में वकील रहे एडवोकेट डा. निर्दोष चतुर्वेदी बताते हैं कि करीब 28 वर्ष पूर्व आंवला से बरेली मार्ग पर जीपें चलना शुरू हुई थीं। इनजीप टैक्सी संचालकों ने जीप एण्ड टैक्सी एसोसिएशन का गठन किया था। उस समय जिला परिषद द्वारा लगाये गये इस पड़ाव शुल्क यानि पार्किंग शुल्क के खिलाफ यही एसोसिएशन कोर्ट की शरण में गयी थी। एडवोकेट चतुर्वेदी बताते हैं कि न्यायालय ने हमें इस पर स्टे दिया तथा हमने लड़ाई लड़ी और जीती भी।
वहीं व्यापार मण्डल नेता मशकूर खान का कहना है कि पालिका को नियमावली के अनुसार शुल्क लेने का अधिकार है परन्तु शुल्क उसी से लिया जाना चाहिए जो उपलब्ध करायी गयी सुविधा का उपभोग कर रहा हो। नियमावली के खिलाफ जिस तरह डण्डे के बल पर लोक निर्माण विभाग की सड़कों पर ठेकेदार के गुर्गे वसूली कर रहे हैं, वह सरासर गलत है। हम इसका विरोध करते हैं।