बरेली के अतरछेड़ी गांव में कमलनाथ का जीर्णशीर्ण पैतृक मकान। इसे लोग बड़ी हवेली कहते थे। फोटो : शरद सक्सेना

गिरिजाकान्त/देवदत्त गंगवार
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ 17 दिसम्बर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। कांग्रेस के इस दिग्गज का आंवला कनेक्शन भी है। भले ही कमलनाथ का जन्म कानपुर में हुआ हो लेकिन उनके पिता और दादा आंवला तहसील के गांव अतरछेड़ी के रहने वाले थे। अतरछेड़ी गांव आंवला तहसील की नगर पंचायत विशारत गंज के अन्तर्गत आता है।

बात करीब तीन साल पहले की है। एक बार हम लोग अपने व्यापार के सिलसिले में आंवला तहसील के गांवों में भ्रमण कर रहे थे। जब हम अतरछेड़ी पहुंचे तो वहां चौपाल पर चर्चा चलने लगी। वहीं पेड़ के नीचे खाट पर बैठे कुछ गांव वालों ने बताया कि हमारे गांव से भी बड़ी हस्तियां निकली हैं। पूछने पर बोले- अरे वो कमलुआ। कौन कमलुआ? तो बोले- अरे वोई कांग्रेस वाले कमल नाथ। उनके बाप-दादा हमारे इसई गांव के हैं।

चर्चा में पता चला कि तत्कालीन सामाजिक और व्यापारिक परिस्थितियों के कारण कमलनाथ के पिता डा. महेन्द्र नाथ ने अतरछेड़ी को छोड़ा और कानपुर जाकर बस गये। उनके दादा लीलानाथ जी, यहां बड़ी हवेली में रहते थे। वह हवेली उन्होंने ही बनवायी थी।

दबंग करते थे परेशान 

गांव के लोगों बताया कि आजादी के कोई 12-14 साल बाद की बाद ये परिवार अतरछेड़ी छोड़ गया था। गांव के कुछ दबंग उन्हें परेशान करते थे। परेशान होकर डा. महेंद्रनाथ ने अपनी जायदाद भी गांव में ही छोड़ दी अपनी हवेली में स्कूल खुलवा दिया। इसके बाद वह कलकत्ता (अब कोलकाता) चले गये। बाद में कानपुर में बस गये थे। इस सबके बावजूद अतरछेड़ी के लोगों से उनका लगाव निरन्तर बना रहा। जब कमलनाथ सांसद बने तो गांव के अनेक लोग उनके यहां आते-जाते रहे हैं।

गांव के ही मुरली मनोहर मिश्रा उम्र लगभग 50 बताते हैं कि पहले सुनारों और कायस्थों का गढ़ रहा है। कमलनाथ का परिवार एक सम्पन्न एवं शिक्षित परिवार था। गांव के लोगों को शिक्षा देने का काम भी इस परिवार ने किया। बाद में ठाकुर लोगों का बाहुल्य हुआ तो परिस्थितियां बदलने लगीं। उनमें कुछ दबंगों ने गांव के लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया। इससे कायस्थों और सुनारों ने अतरछेड़ी से पलायन शुरू कर दिया।

बाद में ठाकुर लोगों का बाहुल्य हुआ तो परिस्थितियां बदलने लगीं। उनमें कुछ दबंगों ने गांव के लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया। इससे कायस्थों और सुनारों ने अतरछेड़ी से पलायन शुरू कर दिया।

गिरिजाकान्त और देवदत्त गंगवार से बातचीत पर आधारित । (दोनो न्यूट्रीवर्ल्ड कम्पनी के निदेशक हैं। )

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