उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार 11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर नई जनसंख्या नीति घोषित करने जा रही है। नई जनसंख्या नीति-2021 में अन्य प्रावधानों को लागू करने के साथ-साथ प्रदेश सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की दिशा में तेजी से प्रयासरत है। मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर राज्य विधि आयोग इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है और जल्दी ही जनसंख्या नियंत्रण कानून को अमलीजामा पहनाया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनाव में एक वर्ष से भी कम समय शेष रह गया है। इस चुनावी वर्ष में नई जनसंख्या नीति और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना योगी सरकार का एक साहसिक फैसला है। हालांकि जनसंख्या नियंत्रण कानून के प्रावधान इसके गठन के एक वर्ष बाद अमल में आयेंगे मगर यह कानून विधानसभा चुनावों में पक्ष और विपक्ष के लिए एक अहम मुद्दा बनेगा।
जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू होने पर दो से अधिक बच्चों वाले अभिभावकों को सब्सिडी एवं सरकारी सुविधाओं में कटौती की मार झेलनी पड़ सकती है। दो या दो से कम बच्चे वाले अभिभावकों को सरकार सरकारी सुविधाएं बढ़ाये जाने की दिशा में भी विचार कर रही है। यदि ऐसे अभिभावक सरकारी कर्मचारी या अधिकारी हैं तो उन्हें एक अतिरिक्त इन्क्रीमेन्ट एवं प्रमोशन देने का प्रावधान किया जा सकता है।
जनसंख्या नियंत्रण कानून बनने पर दो से अधिक बच्चों वाले परिवारों को मुफ्त राशन, खाद, डीजल पर सब्सिडी, बच्चों के लिए स्कालरशिप, मिड-डे मील, किसान सम्मान निधि, मुफ्त बिजली, विधवा पेंशन एवं आयुष्मान कार्ड आदि से सुविधा से वंचित किया जा सकता है। परिवार कल्याण कार्यक्रम को बढ़ावा देने एवं लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से दो या दो से कम बच्चे वाले परिवारों के लिए इन सभी सुविधाओं में और वृद्धि की जा सकती है।
वर्तमान समय में तेजी से बढ़ती जनसंख्या देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा है, ऐसे में प्रदेश का यह जनसंख्या नियंत्रण कानून उत्तर प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।
- सुरेश बाबू मिश्रा, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य, बरेली