मानसिक चिकित्सालय में मेस का टेंडर होता है। टेंडर मिलने के बाद ठेकेदार मरीजों के खाने की व्यवस्था करता है। चिकित्सालय में करीब 300 मरीज हैं। सबसे बड़ी परेशानी उनको खाना खिलाते समय होती है। मानसिक दशा ठीक नहीं होने से मरीज खाने के समय कई तरह की जिद करने लगते हैं। कभी-कभार तो उनमें पहले खाने के लिए ही होड़ लग जाती है तब परेशानी सभी को एक साथ रोटी खिलाने में होती है। करीब 300 मरीजों के लिए रोजाना ही 4000 से अधिक रोटियां बनती हैं। यह परेशानी कई बार सामने आ चुकी है। ऐसे में अब मानसिक चिकित्सालय में रोटी बनाने वाली मशीन मंगाई जा रही है। निदेशक डॉ. प्रमिला गौड़ ने बताया कि प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। निर्देश मिलते ही मशीन लगा दी जाएगी।
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