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बरेली@BareillyLive. आर्ट ऑफ लिविंग बरेली चैप्टर के तत्वावधान में स्टेशन रोड स्थित होटल स्वर्ण टॉवर में सत्संग, भजन संध्या और ध्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गुरुपूर्णिमा हुए इस आयोजन से आर्ट ऑफ लिविंग के सदस्यों ने अपने गुरु श्रीश्री रविशंकर के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की।

बेंगलुरु आश्रम से आये अंकित चितकारा के सत्संग का शुभारम्भ आर्ट लिंविग के गुरु पंडितों द्वारा गुरुपूजा से किया गया। इसमें मुख्य रुप से श्वेत कुनार, प्रीति नुनियाल, अमित नारनोली, पूजा नारनोली शामिल हुए।

सत्संग के दौरान बेंगलुरु आश्रम से आये अंकित चितकारा ने कहा कि गुरूदेव श्रीश्री रविशंकर कहते हैं कि गुरू हर एक व्यक्ति के जीवन में अहम होता है। गुरू सिर्फ उस व्यक्ति की भलाई और उसे सफलता की सीढ़ियों में चढ़ाने के अलावा कुछ नहीं करता है। वह आपके जीवन में सिर्फ ज्ञान ही नहीं भरता, बल्कि आपके जीवन को सही मोड़ पर ले जाने से लेकर एक जीवन शक्ति का संचार करता है।

भारतीय संस्कृति में गुरू और शिष्य परंपरा सदियों से चली आ रही है। गुरु के बिना किसी भी व्यक्ति का कोई मूल्य नहीं है। हर एक शास्त्र में गुरु के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है।

गुरुदेव श्रीश्री रविशंकर जी कहते हैं कि गुरु तत्व हमारे जीवन में व्याप्त है हमारी माँ हमारी पहली गुरु है। और फिर विज्ञान से लेकर अध्यात्म तक, जन्म से लेकर मृत्यु तक, गुरु तत्व हमारे जीवन में व्याप्त है। हर विधा के लिए एक गुरु होता है एक धर्मगुरु (धार्मिक) एक कुलगुरु (परिवार), एक राजगुरु (राज्य के लिए गुरु), एक विद्यागुरु (किसी विशेष विधा के लिए गुरु) और एक सतगुरु (आध्यात्मिक गुरु)।

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आर्ट ऑफ लिविंग के स्टेट कोआर्डिनेटर पार्थो कुनार ने कहा कि गुरूपूर्णिमा के दिन शिष्य अपनी सम्पूर्णता के प्रति सजग होता है। वह गुरू और ज्ञान के प्रति कृतज्ञता से भरा हुआ होता है, लेकिन उसकी कृतज्ञता ’द्वैत’ की नहीं होती। वह कृतज्ञता ’अद्वैत’ के प्रति होती है।

आर्ट ऑफ लिविंग शिक्षक सौरभ मेहरोत्रा ने बताया कि गुरुपूर्णिमा के एक सप्ताह पहले से वृक्षारोपण का कार्यक्रम चल रहा है। सांसें हो रही कम, आओ पेड लगायें हम। यह नारा उनका स्लोगन चल रहा है।

वीडीएस कॉर्डिनेटर यूपी ने कहा एक शिक्षक शिक्षा देते हैं, लेकिन गुरु दीक्षा देते हैं। गुरु आपको जानकारियों से नहीं भरते बल्कि वे आपके भीतर जीवनी शक्ति जाग्रत करते हैं। गुरु की उपस्थिति में आपके शरीर का कण-कण जीवन्त हो जाता है उसी को दीक्षा कहते है।

उसके बाद बच्चों का कार्यक्रम हुआ जिसमें बच्चों ने सूर्य नमस्कार कर दिखाया। वहाँ बैठे लोगों ने खूब सराहना की। इसमें मुख्य रुप से अन्य अविरल, अक्षत, अनन्या नित्यम, नोरा मुकेश, अर्थव आदि ने भाग लिया।

इसके बाद प्रारम्भ हुआ भजन संध्या का दौर। इसमें अंकित चितकारा जी ने अपनी मधुर आवाज से ‘ये चमक, ये दमक, …सबकुछ सरकार तुम्हीं से है, और देवी नन्दिनी जैसे भजन गाकर भक्तजनों को झूमने को मजबूर कर दिया। भजन गायन के दौरान बरेली की पारुल चन्द्रा और सारुल श्री ने उनका साथ दिया। इसी बीच ध्यान भी किया गया।

इस अवसर पर अनेक डॉक्टर, पत्रकार, व्यापारियों समेत बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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