बरेली। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के 50वें स्थापना दिवस को कुलाधिपति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल वर्चुअल तौर पर सम्बोधित किया। रुहेलखंड विश्वविद्यालय का इस स्वर्ण जयंती समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सामाजिक समस्या से जुड़े मुद्दों पर भी शोध करने होंगे। ताकि शोध के निष्कर्ष से समाज का मार्गदर्शन हो सके। इसी से विश्वविद्यालय की सार्थकता साबित होगी।
राज्यपाल ने कहा कि बेटियों को दहेज उत्पीड़न, स्वास्थ्य संबंधी समस्या, खून की कमी, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों से निजात दिलाने के लिए सार्थक प्रयास करने होंगे। दिव्यांगों को प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध कराने के साथ विश्वविद्यालय की पहचान को दुनिया भर में पहुंचाना होगा। तभी विश्वविद्यालय जैसी शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना और उद्देश्य पूरा होगा।
रुहेलखंड विश्वविद्यालय कई सामाजिक जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। क्षय रोग उन्मूलन के लिए बेहतर प्रयास किया है। कमाई के साथ पढ़ाई की पहल सराहनीय है। लेकिन सामाजिक समस्या से जुड़े मुद्दों पर भी शोध करने होंगे। ताकि शोध के निष्कर्ष से समाज का मार्गदर्शन हो सके। इसी से विश्वविद्यालय की सार्थकता साबित होगी। ये सुझाव शनिवार को रुहेलखंड विश्वविद्यालय के 50वें स्थापना दिवस के मौके पर कुलाधिपति राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कुलपति को दिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा रहे। इसके अलावा विशिष्ट अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी और सांसद छत्रपाल गंगवार ने भी हिस्सा लिया।
कागज तक सीमित न रह जाएं एमओयू
राज्यपाल ने कहा कि रुहेलखंड यूनिवर्सिटी ने पिछले कुछ समय में विभिन्न विदेशी संस्थाओं के साथ एमओयू साइन किये हैं लेकिन ध्यान रखा जाए कि ये करार सिर्फ कागजों तक सीमित न रह जाएं। छात्रों को विदेशी संस्थानों में भेज कर ट्रेनिंग दिलाई जाए ताकि उन्हें व्यवहारिक ज्ञान के साथ डिग्री भी प्राप्त हो सके। कहा, शैक्षिक सामाजिक उत्थान के लिए 10 वर्ष का विजन प्लान बनाया गया था। अब इसकी समीक्षा करने की आवश्यकता है। एक कमेटी गठित कर देखा जाए कि इसमें कितना काम हो गया है। आगे के लिए भी रोड मैप तैयार कराया जाए।