केवल 5195 रुपये बनता है रबर फैक्ट्री का मुआवजा, शासन से दिलायेंगे पीएफ

बरेली। रबड़ फैक्ट्री के कर्मचारियों के 1.32 करोड़ की भविष्य निधि के भुगतान को लेकर चल रहे विवाद में प्रशासन ने अपना रुख साफ कर दिया है। डीएम ने बगैर अनुमति रकम रिलीज करने पर बैंकर्स को भी आड़े हाथों लिया है। कोटक मोहद्रा के बैंक मैनेजर हरमीत सिंह और पीएफ के रिकवरी ऑफिस जोगेन्दर सिंह के खिलाफ कराई गई एफआईआर को सही बताया।

डीएम ने बताया कि 1960 में रबड़ फैक्ट्री को शासन ने लीज पर जमीन दी थी। 3.20 लाख रुपये फैक्ट्री के मालिक से लिए गए थे। उत्पादन बंद होने के बाद जमीन वापसी की शर्त लीज में शामिल है। रबड़ फैक्ट्री की करीब 13 सौ एकड़ की वापसी की कार्रवाई चल रही है। बताया कि बड़ा बाइपास के लिए 2008 में रबड़ फैक्ट्री की 22 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। एनएचएआई ने दूसरी जमीनों की तरह ही रबड़ फैक्ट्री वाली जमीन का मुआवजे के तौर पर करीब 4 करोड़ की रकम भेजी थी। जबकि लीज की शर्तों के मुताबिक यह रकम सिर्फ 5195 होती है।

रकम को एनएचएआई ने कोटक मोहद्रा बैंक में जमा करा दिया था। पीएफ कमिश्नर के पास किसी ने बैंक में जमा रकम को रबड़ फैक्ट्री का बता दिया। पीएफ कमिश्नर ने इस रकम में 1.32 करोड़ रुपये का भुगतान रबड़ फैक्ट्री को करने के आदेश दे दिए। उन्होंने बताया कि भुगतान करने से पहले बैंकर्स को प्रशासन से अनुमति लेनी चाहिए थी। बैंक ने ऐसा नहीं किया, जो गलत है। हालांकि एफआईआर के बाद बैंक ने ड्राफ्ट कैंसिल कर दिया। रकम वापस बैंक खाते में आ गई।

एसएसपी से मिले पीएफ कमिश्नर

1.32 करोड़ एसएलओ के खाते से निकाले जाने के मामले में रीजनल कमिश्नर पीएफ मो. शारिक के साथ अफसरों ने मंगलवार को एसएसपी से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि कोतवाली में गबन का मुकदमा गलत दर्ज किया गया है। पीएफ अफसर जोगेंद्र कुमार ने नियमों के मुताबिक मामले में कार्रवाई की है। डीएम ने बताया कि 1982 में लीज की शर्त के मुताबिक रबड़ फैक्ट्री के मालिक से बीएसएफ कैंप के लिए 100 एकड़ जमीन खरीदी गई थी। रबड़ फैक्ट्री के मालिक को 11300 रुपये दिए गए थे। जमीन 1960 के रेट पर वापस हुई थी। शर्त के अनुसार बड़ा बाइपास में अधिग्रहीत 22 एकड़ जमीन की कीमत 5195 रुपये होती है।

डीएम ने कहा कि रबड़ फैक्ट्री के कर्मचारियों के पीएफ का भुगतान कराया जाएगा। शासन में भुगतान के लिए सिफारिश करेंगे। अगर बैंक में जमा रकम से पीएफ का भुगतान हो जाता तो फैक्ट्री की जमीन वापसी की प्रक्रिया पर असर होता। डीएम ने बताया कि पीएफ और बैंक अधिकारी के खिलाफ गबन की एफआईआर नहीं करते तो एसएलएओ नप जाते। एसएलएओ की भूमिका को लेकर सवाल उठते। एसएलएलओ ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर कराकर सही कदम उठाया है।

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