बरेली। जयनारायण सरस्वती इण्टर कॉलेज में बुधवार को छात्रों को वास्तविक धर्म, संस्कृति और शिक्षा का बोध कराया गया। इसके लिए कॉलेज प्रबंधन ने प्रख्यात कथावाचक डॉ. सुरेश शास़्त्री के एक प्रवचन सत्र का आयोजन किया था। विषय था-शिक्षा और संस्कार क्या है?
मुरैना (मध्य प्रदेश) के प्रख्यात कथावाचक डॉ0 सुरेश शास्त्री ने विद्यार्थियों को बताया कि सबसे बड़ा धर्म राष्ट्रधर्म होता है और इसका विकास संस्कारयुक्त शिक्षा द्वारा ही सम्भव है। ऐसी शिक्षा के द्वारा ही हम अपने माता-पिता, गुरुजन, महापुरुष अपने देश और राष्ट्र की सेवा कर सकते हैं। उन्होंने छात्रों को ‘‘ हंस बनने की प्रेरणा दी।
हंस की तरह छात्र भी हों नीर-क्षीर विवेकी
बताया कि हंस की विशेषता है नीर-क्षीर विवेकी होना अर्थात छात्र भी सत्य-असत्य उचित -अनुचित के निर्णय में पारंगत हों। राम के उत्साही जीवन का अनुकरण करते हुए आसुरी – प्रवृत्तियों से डरे नहीं। विद्या में ज्ञान के साथ-साथ विज्ञान की आवश्यकता है। विद्या में ज्ञान-पानी है लेकिन पानी की पहचान करना विज्ञान का कार्य है। हंस का ज्ञान स्पर्श से हुआ यह विज्ञान है। राम ने बालि का वध इसलिए किया कि उसका सम्बन्ध आसुरी प्रवृत्तियों से था। इसी प्रकार जिनका सम्बन्ध आतंकवादियों से, देश द्रेहियों से हो उनका सफाया करना, भगाना हम सभी का नैतिक दायित्व है।
उन्होंने शिशु मंदिर, विद्या मंदिर की संस्कार युक्त शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कान्वेन्ट स्कूलों में दी जाने वाली, भ्रमित करने वाली पाश्चात्य शिक्षा पर भी चर्चा की। उन्होंने विवेक में विज्ञान समरसता का पाठ पढ़ाते हुए देश को परम वैभव पर ले जाने का आहृवान किया।
विद्यालय के प्रधानाचार्य बृजमोहन शर्मा के निवेदन पर डॉ0 शास्त्री ने ‘‘ चन्दन है इस देश की माटी, तपोभूमि हर ग्राम है ‘‘ गीत भी सुनाया। प्रधानाचार्य श्री शर्मा ने भी ‘‘ मंदिर में रहते हो भगवान कभी मेरे घर भी आया करो ‘‘ गीत गाकर धन्यवाद ज्ञापित किया।
इससे पूर्व विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष अरुण गुप्ता, प्रबंधक रामदयाल जैन, प्रधानाचार्य बृजमोहन शर्मा ने डॉ0 शास्त्री जी का माल्यार्पण एवं अंगवस्त्र ओढ़ाकर अभिनन्दन किया। इस अवसर पर राजेश, डॉ0 गिरराज सिंह, संजीत शर्मा, तरुण शर्मा, संदीप मिश्रा, विजयपाल, वीरेन्द्र कुमार मिश्रा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 कैलाश पाठक ने किया।