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साहित्यकार ज्ञान स्वरूप ‘कुमुद’ की पुण्यतिथि पर कवियों को किया सम्मानित

बरेली। कवि गोष्ठी आयोजन समिति एवं साहित्यकार ज्ञान स्वरूप ‘कुमुद’ स्मृति सम्मान समिति के संयुक्त तत्वावधान में कुमुद निवास, कुंवरपुर में कुमुद जी की छठी पुण्यतिथि साहित्य चेतना दिवस के रूप में मनाई गई। इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार डॉ महेश मधुकर को कुमुद साहित्य शिरोमणि सम्मान-2020 एवं प्रख्यात गीतकार डॉ शिव शंकर यजुर्वेदी को कुमुद गीत महारथी सम्मान-2020 प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप उत्तरीय, प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह संस्थापक सचिव उपमेन्द्र सक्सेना एडवोकेट ने प्रदान किए।

कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ राम शंकर शर्मा प्रेमी द्वारा प्रस्तुत मां शारदे की वंदना एवं कुमुद जी के चित्र पर माल्यार्पण के साथ ही हुआ।

अध्यक्ष पद से संबोधित करते हुए साहित्यकार रणधीर प्रसाद गौड़ धीर  ने कहा कि साहित्य सृजन एक कला है जिसको उचित प्रोत्साहन दिया जाना अपेक्षित है। साहित्य समाज का दर्पण है जिसके स्तर से ही समाज के स्तर एवं अभिरुचि का ज्ञान होता है। साहित्य की अभिवृद्धि समाज की अपरिहार्य आवश्यकता है। इस दिशा में कुमुद जी द्वारा जो कार्य किया गया वह सराहनीय है।                

डॉ महेश मधुकर ने अपनी काव्यांजलि इस प्रकार दी-

आज के ही दिन धरा पर, अवतरे थे कुमुद जी

जगत में रहते हुए, जग से परे थे कुमुद जी

उपमेन्द्र सक्सेना एडवोकेट ने कहा कि आज समाज में अपनत्व का अभाव है। केवल भौतिकवाद को ही महत्व दिया जा रहा है। ऐसे में साहित्यकार का यह दायित्व है कि वह अपने साहित्य के माध्यम से समाज में मानवीय भावना जागृत करे। डॉ शिव शंकर यजुर्वेदी ने साहित्यिक अभिचेतना जागृत करने के लिए प्रबुद्ध साहित्यकारों एवं कवियों का आह्वान किया कि वे इस संबंध में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। डॉ राम शंकर शर्मा प्रेमी ने कहा ने कहा कि कुमुद जी अच्छे साहित्यकार के साथ ही एक अच्छे इंसान भी थे। वह अपने उत्कृष्ट साहित्य से सदैव स्मरणीय रहेंगे।

समाजसेवी नरेंद्र कुमार आर्य ने कुमुद जी को संवेदना, क्षमता एवं दृष्टि का एक सुंदर समन्वित व्यक्तित्व बतलाते हुए कहा कि उन्होंने निर्धनता में रहकर भी सदैव मानवीय मूल्यों को अपनाया और उनके लिए संघर्ष किया। रजत कुमार ने कुमुद जी को एक प्रतिभाशाली, मर्मज्ञ और मधुर स्वभाव का बताते हुए कहा कि उन्होंने अपनी लेखनी से ऐसे साहित्य का सृजन किया जो युगों-युगों तक मानवीय मूल्यों की स्थापना का आधार स्तंभ रहेगा।

कार्यक्रम का संचालन कवि जगदीश निमिष ने किया। इस अवसर पर सरोज कुमार भांजा, प्रकाश बाबू, सुलीला रानी सक्सेना,  उत्पल स्वरूप, पूनम सक्सेना, प्रीति सक्सेना, शंकर स्वरूप, रतन सिंह, अनुज सक्सेना, संजय सक्सेना आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में उपमेन्द्र सक्सेना एडवोकेट ने आभार ज्ञापित किया।

gajendra tripathi

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