आंवला (बरेली)। एक कहावत है कि ‘फटे में टांग अड़ाना‘। इसका अर्थ जो भी हो लेकिन ‘फटे पास‘ को लेकर पूर्व और वर्तमान आंवला पालिकाध्यक्ष और उनके समर्थकों के बीच जबरदस्त टांग खिंचाई हो रही है। असल में ‘फटे पास‘ में टांग अड़ायी है पूर्व पालिकाध्यक्ष सैयद आबिद अली ने।
सैयद आबिद अली ने पालिकाध्यक्ष संजीव सक्सेना के हस्ताक्षरयुक्त नुमाइस के पास के आधे हिस्से को फेसबुक पर डालकर लिखा कि ‘‘आंवला नगरपालिका सत्ताधारी चेयरमैन संजीव सक्सेना का रूतबा देखने को मिला। नगर पालिका सभासदों के लिए नुमाइश मुफ्त पास जारी किये गये। जब सभासदों ने इसका प्रयोग किया तो नुमाइश के लोगों ने उनके पास फाड़ दिये और उनसे कहा कि यह पास मान्य नहीं होगा। जिन पर नगर पालिका की मुहर और चेयरमैन के हस्ताक्षर भी थे।‘‘
ये पोस्ट फेसबुक पर शेयर होते ही वायरल हो गयी। आबिद अली और संजीव सक्सेना दोनों के समर्थक अपने तरीके से तर्क देने लगे। एक दूसरे को नीचा दिखाने की हद तक अपने नेता की वकालत और दूसरे की आलोचन करने लगे।
हुआ यूं कि पिछले दिनों नगरपालिकाध्यक्ष संजीव सक्सेना ने आंवला नगर में लगी नुमाइश के पास अपने हस्ताक्षर से जारी किये थे। ये पास आमतौर पर नुमाइश या प्रदर्शनी के आयोजकों द्वारा उपलब्ध कराये जाते हैं। जिन पर जारीकर्ता अपने हस्ताक्षर और मुहर लगा देता है जिससे उसकी वैधता जानी जा सके। यहां भी यही हुआ।
आबिद अली और संजीव सक्सेना के समर्थक एक दूसरे पर जमकर बरस रहे हैं। अपने नेता के रूतबे को दमदारी से प्रस्तुत कर रहे है। कोई संजीव सकसेना को अच्छा इंसान बता रहा है तो कोई आबिद अली की प्रशंसा के पुल बांध रहा है। कुल मिलाकर नुमाइश के पास पर जबर्दस्त बहस छिड़ी हुई है।
शायद आबिद अली टिकट लेकर कभी फिल्म देखने ही नहीं गये : संजीव सक्सेना
इस पर संजीव सक्सेना का कहना है कि हमारे मित्र सैयद आबिद अली ने टिकट अथवा पास लेकर सिनेमा हॉल कोई फिल्म नहीं देखी और न ही किसी अन्य कार्यक्रम में भाग लिया है। वरना उन्हें पता होता कि प्रयोग करने के लिए गेट में घुसते समय ही गेटकीपर पास अथवा टिकट आधा फाड़कर अपने पास रख लेता है। जिससे एक पास एक ही बार उपयोग में लाया जा सके। बाद में वह फटा हुआ हिस्सा नष्ट कर दिया जाता है।
संजीव सक्सेना ने चुटकी लेते हुए कहा कि सपा के पास अब कोई मुद्दा बचा नहीं है। ऐसे में यह लोग हमारे विकास कार्यों से जनता का ध्यान बंटाकर अनर्गल बातें कर रहे हैं।