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प्रभा टॉकीज : फिल्म अभिनेता ओमप्रकाश के पत्नी के प्रति प्रेम की निशानी

रेली महानगर में चौकी चौराहे से गांधी उद्यान की तरफ जाने पर गांधी उद्यान से कुछ पहले ही है प्रभा सिनेमा, अपने समय का बरेली और आसपास के जिलों का सबसे शानदार और भव्य सिनेमा हॉल।  इसे आप हिंदी फिल्मों के दिग्ग्ज अभिनेता ओमप्रकाश (छिब्बर) की अपनी पत्नी प्रभा छिब्बर के प्रति प्रेम की निशानी भी कह सकते हैं। जिलाधिकारी बीएन प्रसाद ने 26 जनवरी 1974 को नमक हराम फ़िल्म देखकर इसकी शुरुआत की थी। इस दौरान प्रभा छिब्बर भी मौजूद थीं।                                     


प्रभा टॉकीज के निर्माण कार्य के दौरान निरीक्षण के लिए बरेली पधारे फिल्म अभिनेता ओमप्रकाश। यह फोटो टॉकीज के अंदर का है।

प्रभा सिनेमा को बरेली में बनवाने का सुझाव ओमप्रकाश को उनके मित्र मदन कपूर उर्फ मदन रईस ने दिया था जो एक फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर थे। उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 40 सिनेमाघरों में उनकी फिल्में प्रदर्शित होती थीं। इसी दौरान ओमप्रकाश के परिचित गोविल परिवार ने बम्बई (मुम्बई) में बातचीत के दौरान बरेली में अपनी जमीन खाली पड़ी होने का जिक्र किया। इस पर ओमप्रकाश ने गोविल परिवार से वह जमीन लेकर दिल्ली के आर्किटेक्ट सेन गुप्ता एन्ड सेन गुप्ता को एक सिनेमा हॉल का नक्शा बनाने की जिम्मेदारी वर्ष 1972 में सौंप दी। इस आर्किटेक्ट ने ही इस सिनेमा हॉल का बहुत तेजी से निर्माण करवा दिया।

अशोक नैयर

प्रभा सिनेमा के प्रबंधक रहे अशोक नैयर बताते हैं कि इस सिनेमा हॉल को उस समय की सबसे बेहतर प्लास्टिक सिने स्क्रीन, फर्नीचर, अति आधुनिक टॉयलेट और अच्छे पर्दे के साथ तैयार कराया गया था और यह पूरी तरह वातानुकूलित था। सिनेमा हॉल के उद्घाटन से कुछ पहले  ओमप्रकाश बरेली आये थे। उन्होंने मदन रईस को कहा की दरवाजों के पर्दे बदल कर और बेहतर क्वालिटी के लगवा लें, क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करें। अनुशासन, अच्छे टॉयलेट एवं साफ-सफाई पर उनका विशेष जोर था। यही कारण रहा कि प्रभा सिनेमा में करीब 40 कर्मचारियों का स्टाफ था। अन्य सिनेमाहाल से अधिक वेतनमान भी था। बरेली में प्रभा सिनेमा हॉल अनुशासन में भी वर्षो अब्बल रहा। टिकट की पूर्व बुकिंग होती थी। टिकट ब्लैक करने का भी प्रभा सिनेमा से दूर-दूर तक नाता नहीं रहा।

वर्ष 1984 -1985  के दौर में दूरदर्शन की बढ़ती लोकप्रियता एवं वीडियो प्लेयर आने पर सिनेमा जगत में मंदी का दौर आया। हालत यह हुई कि कई सिनेमाहाल बंदी के कगार पर पहुंच गये। प्रभा टॉकीज की आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल होने लगी। इस पर दिल्ली के होटल कारोबारी हरीश सूरी ने 1988 में इसको खरीद लिया। तब भी इसके मैनेजर अशोक नैयर ही रहे। इसके बाद प्रभा सिनेमा को विष्णु अग्रवाल उर्फ विष्णु लाला एवं जितेंद्र अग्रवाल ने खरीद लिया।

निर्भय सक्सेना,

(पत्रकार संगठन उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष)

फिल्म अभिनेता ओमप्रकाश।
gajendra tripathi

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