प्राणिक हीलिंग पर वर्कशाॅप 16 जनवरी से

 बरेली, 14 जनवरी। हजारों मील दूर बैठे रोगी को पल भर में राहत पहुंचायी जा सकती है। इसके लिए किसी मशीन या यंत्र की कोई आवश्यकता नहीं है और न ही ये कोई जादू-टोना या टोटका है। यह विज्ञान है। इसी विधा पर एक कार्यशाला का आयोजन यहां अजमेरा इंस्टीट्यूट आफ मीडिया स्ट्डीज में 16 और 17 जनवरी को किया जा रहा है। कार्यशाला एमसीकेएस योग विद्या प्राणिक हीलिंग एसोसिएशन, बरेली (सम्बद्ध फिलीपीन्स) द्वारा आयोजित की जा रही है।

pranic healing1एसोसिएशन के प्रशिक्षक मनीष योगी और डा. अभय कुमार जौहरी के अनुसार यह प्राणिक हीलिंग वस्तुतः प्राण योग है। यह भारत की प्राचीनतम इलाज पद्धति है। हमारे ऋषि-मुनि इसी विधा का प्रयोग करके प्राणि मात्र का उपचार किया करते थे। इस विधा से किसी भी व्यक्ति को बिन स्पर्श किये उसके औरा के माध्यम से उसकी बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसके बाद योग की विभिन्न शाखाओं जैसे-राजयोग, ध्यान योग, मंत्र योग या प्राण योग के माध्यम से उपचार किया जा सकता है।

कालांतर में यह विधा लुप्तप्राय हो गयी। लेकिन चीन के मास्टर चैकोसुई ने प्राण चिकित्सा यानि प्राण योग को सीखकर इसे प्राणिक हीलिंग के नाम से पुनः जीवन्त कर दिया। उन्होंने बताया मनुष्य के शरीर में ऊर्जा के कई चक्र होते हैं। जब इन ऊर्जा चक्रों का संतुलन बिगड़ जाता है तभी शरीर में रोग अपनी जड़ें जमा लेते हैं। प्राणिक हीलिंग से इसी असंतुलन को ठीककर चक्रों को पुनः संतुलित कर दिया जाता है।

श्री योगी के अनुसार इसे कोई भी सामान्य व्यक्ति सीख सकता है, बशर्ते उसमें सीखने की ललक और ईश्वर के प्रति आस्था और विश्वास हो। इस विधा को तीन मुख्य कोर्स में बांटा गया है। इन्हें बेसिक, एडवांस और साइको कोर्स के नाम से जाना जाता है। ये सभी कोर्स केवल दो-दो दिन के होते हैं।

उन्होंने बताया कि फिलहाल बेसिक कोर्स के लिए कार्यशाला का आयोजन 16 व 17 जनवरी को जीआरएम स्कूल के पास अजमेरा इंस्टीट्यूट आफ मीडिया स्ट्डीज के हाल में प्रातः 9 बजे से शाम 5 बजे तक किया जा रहा है। इच्छुक अभ्यर्थी सम्पर्क कर सकते हैं।

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