Bareillylive : बरेली की नामी संस्थाओं में अपनी धमक रखने वाला रुहेलखंड मंडल में शिक्षा जगत का एक चमकता नक्षत्र कल इस जगत को अलविदा कह गया। 11फरवरी 2024 को प्रो एन एल शर्मा ने अंतिम सांस ली। उनके निधन का समाचार सुन उनके शुभचिंतक उनके निवास पर नम आंखो से एकत्र हो गए। शब्दो के जादूगर डॉ. एन. एल.शर्मा जी केवल एक शिक्षाविद् ही नहीं बल्कि यों कहें एक पूरी संस्था थे। जिन्होंने दर्जनों छात्रों को शिक्षा जगत में शोध कार्य कराकर शिक्षा ही नहीं समाज के लिए सराहनीय एवम उपकार का कार्य किया है। बरेली कालेज में प्रधानाचार्य रहे डॉ नत्थू लाल शर्मा जी का व्यक्तित्व जितना सरल है। उतना ही उनका व्यवहार ही ऐसा है कि हर कोई उनका मुरीद हो जाता है। हर व्यक्ति उन्हें अपना खास समझता है और वह भी सभी को उतना ही मान सम्मान देते हैं। दिखावे से दूर रहकर श्री एन. एल. शर्मा विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से जनसेवा में भी हमेशा लगे रहते। उनकी 79 वर्ष की आयु भी इसमें आड़े नहीं आती थी। अधिकांश कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति उस कार्यक्रम को गौरवान्वित करती है। मृदुभाषी डा. एन. एल. शर्मा जी का बरेली मंडल ही नहीं ब्लकि प्रदेश देश के हर वर्ग में सम्मान है। श्री एन एल शर्मा मानवीय संवेदनशीलता, साहित्यिक सृजनशीलता के एक अनुकरणीय उदाहरण भी हैं। बरेली कॉलेज में कामर्स के शिक्षक के रूप में उनके विद्यार्थी ही नहीं साथी शिक्षक भी उनके व्यवहार के कायल रहे। डा. शर्मा से शिक्षा पाये छात्र आज देश के विभिन्न राज्यो में उच्चपदों पर हैं।
डॉ एन एल शर्मा जी का जन्म 1 जनवरी 1946 को रुहेलखंड के बदायूं जिले के इस्लामनगर के रियोनाई गांव के स्वर्गीय श्रीमती प्रेमवती देवी व पंडित राम चरन लाल जी के घर हुआ। डॉ आर पी मित्तल जी को श्री एन एल शर्मा जी अपना गुरु मानते हैं। उन्होंने एम ए, एम कॉम के बाद एल एल बी की भी शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद पी एच डी की भी उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1966 से 1968 तक चिड़ावा कॉलेज में वह प्रवक्ता रहे। बरेली कॉलेज में 1968 में कॉमर्स के अध्यापन के उपरांत इसी कॉलेज के 2008 तक प्राचार्य भी रहे। सेवानिवृत्ति के पश्चात वह केसीएमटी कॉलेज में उप महानिदेशक, प्रेम प्रकाश गुप्ता इंस्टीट्यूट में महा निदेशक एवम गंगाशील महाविद्यालय में भी महानिदेशक के पद पर रहे।
वरिष्ठ पत्रकार निर्भय सक्सेना बताते हैं कि प्रो. शर्मा से नमस्कार तो बहुत पहले से होती रहती थी। मानव सेवा क्लब के माध्यम से उनसे काफी निकटता हो गई। उन्होंने मेरी वार्षिक पत्रिका *कलम बरेली की* के चारो अंकों में बरेली से जुड़े सारगर्भित आलेख एवम पुस्तक की समीक्षा भी लिखीं। उनके समझाने का ढंग इतना सरल एवम अच्छा था कि हर विषय की वह व्याख्या करके समझाते। उनकी पढ़ने में सदा रूचि बरकरार रही। यही कारण है कि किसी भी कार्यक्रम के मंच पर वह जब अपना उदबोधन देते तो उपस्थित जनसमुदाय को शिक्षा, धर्म, आध्यात्म पर भी उनके जरिये नयी- नयी जानकारी मिलती। उनकी एक यह भी अच्छी आदत है। वह जिस कार्यक्रम में जाते तो वहां के प्रमुख व्यक्ति एवं संस्था के नाम की जिस तरह शब्दशः व्याख्या करते। उससे उपस्थित जन तालियों की गड़गड़ाहट करने से नहीं चूकते थे। मैंने भी श्री एन एल शर्मा जी के उद्बोधन में यह खास बात अनुभव की है कि वह हर बात को तर्क के साथ प्रस्तुत करते। कभी अपनी बात थोपने का उनका मंतव्य नहीं रहता था। हिंदी, इंग्लिश, संस्कृत आदि भाषाओं पर उनकी मजबूत पकड़ के चलते वह अपने उद्बोधन में हमेशा नई नई जानकारी समाज को देते रहे। हाल में ही उनकी ‘सुन्दरकाण्ड में निहित जीवन प्रबंधन के सूत्र’ नामक पुस्तक प्रकाशित हुई। इस पुस्तक में श्री शर्मा जी ने भगवान राम को नायकत्व एवम हनुमान जी के चरित्र को आधार बनाकर जीवन मूल्यों की भी विवेचना की। श्री शर्मा जी के घर पर जब भी कोई बैठक होती तो उनका आतिथ्य सत्कार ऐसा होता कि उनके हाथ से दिये गये खाद्य पदार्थ को सभी ‘प्रसाद’ के रूप में ग्रहण करते। उनकी अनुपस्थिति में उनकी पत्नी श्रीमती आदर्श शर्मा व पुत्र विवेक शर्मा, जो स्वयं भी एक शिक्षाविद् है, उनका आचरण भी अपने पिता के समान ही रहा। आजकल वह स्वयं बिहार के गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय में डीन हैं।
मानव सेवा क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र बीनू सिन्हा और महासचिव सत्येंद्र सक्सेना ने कहा कि डॉ एन. एल.शर्मा बहुत ही सरल और नेक दिल इंसान थे। उनके निधन से शिक्षा और साहित्य जगत को जो क्षति हुई है उसकी पूर्ति कभी नहीं हो सकती। मानव सेवा क्लब एव भारतीय पत्रकारिता संस्थान ने प्रो एन एल शर्मा के 75 वें जन्मदिन को अमृतोत्सव के रूप में 2021 में मनाया था। उनकी आत्मा की शांति के लिए हुई शोक सभा में संस्थापक अध्यक्ष ए.पी.गुप्ता, इंद्र देव त्रिवेदी, निर्भय सक्सेना, मुकेश सक्सेना, राजीव सक्सेना, सीए राजेन विद्यार्थी, प्रकाश चंद्र सहित कई लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।