लखनऊ। आपदा को मुनाफाखोरी का अवसर में बदलने पर हर्षा हॉस्पिटल के मालिक शहजाद अली नप गए। कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज से संबंधित रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के
आरोप में पुलिस ने उन्हें तीन अन्य लोगों को साथ गिरफ्तार कर लिया।

कोरोना काल में चर्चा में आया हर्षा हॉस्पिटल सीतापुर रोड पर स्थित है। गोमतीनगर पुलिस को सूचना मिली थी कि इस अस्पताल से जुड़े लोग रेमडेसिविर इमजेक्शन को एमआरपी से कई गुना ज्यादा दम पर बेच रहे हैं। पुलिस ने शुरुआती जांच में आरोप की पुष्टि होने पर हर्षा हॉस्पिटल के मालिक शहजाद अली और एक दवा कंपनी के एमआर समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इन लोगों के पास से  54 रेमडेसिविर इंजेक्शन और 51400 रुपये बरामद हुए। इंस्पेक्टर गोमतीनगर केशव कुमार तिवारी ने इस बात की पुष्टि की है कि पकड़े गए आरोपितों में शहजाद अली, दुबग्गा निवासी सचिन रस्तोगी, फरीदीपुर निवासी कृष्णा दीक्षित और बर्फखाना का रितेश गौतम शामिल हैं।

तीमारदारों पर बनाता था दबाव

इंस्पेक्टर तिवारी ने बताया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों के तीमारदारों से शहजाद और उसके स्टाफ के लोग कहते थे कि यह इंजेक्शन लगना बहुत जरूरी है। मार्केट में इंजेक्शन है नहीं और तुम लाओगे तो नकली हो सकता है। हम सीधे कंपनी से मंगवाएंगे पर महंगा होगा। तीमारदारों को गुमराह करके शहजाद उन्हें इंजेक्शन लगवाता था और 20 से 25 हजार रुपये प्रति इंजेक्शन के हिसाब से वसूल रहा था।

छह हजार रुपये में देता था एमआर

पुलिस ने बताया कि दवा कंपनी का एमआर कृष्णा दीक्षित रेमडेसिविर इंजेक्शन 6 हजार रुपये में रितेश गौतम और सचिन रस्तोगी को देता था। इसके बाद ये लोग यह इंजेक्शन शहजाद को 10500 रुपये में बेचते थे जिसके शहजाद मरीजों से 20 से 25 हजार रुपये वसूलता था। गिरोह के अन्य लोगों की तलाश में दबिश दी जा रही है।

error: Content is protected !!