विशाल गुप्ता, बरेली। आज राहुल गांधी बरेली में थे। आये थे विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में वोट मांगने। ‘काम बोलता है‘ के समर्थन में उन्होंने जनसभा को यहां बिशप मण्डल इण्टर कालेज में सम्बोधित किया। लेकिन इस दौरान राहुल खुद में यह स्पष्ट नहीं कर पाये कि बीते पांच साल में अखिलेश सरकार ने कोई काम किया भी या नहीं। वह करीब 22 मिनट तक बोले। यह पूरा समय उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कोसने में खर्च किया। न तो विकास की बात की और न ही अखिलेश सरकार के किसी काम का उल्लेख। पता ही नहीं चला कि कौन सा काम बोलता है और उसकी आवाज कांग्रेसी जनसभा में मौन क्यों हो गयी?
राहुल बोले और खूब बोले। वह बेरोजगारी पर बोले, नोटबंदी पर बोले, कर्जमाफी पर बोले, किसानों पर बोले, कालेधन पर बोले लेकिन इस पूरे बोलने में वह यूपी में क्या काम हुआ है बस, यही नहीं बोले।
वह बोले कि यूपी में सबसे बड़ी चुनौती युवाओं की बेरोजगारी है, इसके लिए जिम्मेदारी मोदी की है। भूल गये कि सूबे में सरकार उनके गठंबंधन वाली पार्टी सपा की है। उनके ‘दोस्त‘ अखिलेश यादव उसके मुखिया हैं।
वह बोले- देश के 50 परिवारों पर छह लाख करोड़ का कर्जा है। यह बैंकों का एनपीए, उन्होंने इसके लिए भी मोदी को ही जिम्मेदार बताया। शायद भूल गये कि यह एनपीए बीते डेढ़ दशक के दौरान बढ़ा था, जब केन्द्र में खुद उनकी सरकार थी।
इसी तरह नोटबंदी में कतारों में लगे गरीबों की सहानुभूति भी बटोरने की कोशिश की। कहा कि किसान कर्ज में दबा हुआ है। उसके कर्जे माफ नहीं किये गये जबकि उद्योगपतियों के एक लाख चालीस हजार करोड़ के कर्जे माफ कर दिये गये।
उद्योगपतियों का जिक्र करते हुए राहुल ने एक नाम का जिक्र किया वह था विजय माल्या का। सवाल ये कि माल्या को कर्ज पर कर्ज दिया किसने? शायद राहुल भूल गये कि उसे कर्ज देते वक्त भी सरकार कांग्रेस की ही थी।
हां, अंत में उन्होंने एक बात जरूर ऐसी कि जिससे युवा उनसे कुछ जुड़ सके। कोचिंग सेण्टरों की बढ़ती संख्या पर बोले-मैंने अखिलेश जी से कहा है कि प्रदेश भर में ऐसे कोचिंग सेण्टर हाई क्वालिटी की टीचिंग और ट्रेनिंग वाले स्थापित किये जायें जो युवाओं को मुफ्त कोचिंग दें। उन्हें अपना कॅरियर बनाने के लिए पैसे का मुंह नहीं देखना पड़े। चाहे गरीब हो या अमीर, किसी भी जाति या धर्म का युवा हो उसे इन सेण्टर्स में फ्री ट्रेनिंग मिले, वह सरकारी नौकरी की तैयारी कर सके और अपना भविष्य बना सके। अलबत्ता नौकरियों के अवसर कैसे बढ़ेंगे इस पर कोई विजन नहीं दे सके।