आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

बरेली । रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के “भारत रत्न नानाजी देशमुख सभागार” में पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को विभिन्न जिलों से आये करीब 2 हजार लोगों को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि हम “भविष्य का भारत” – श्रेष्ठ भारत की कल्पना कर रहे हैं और भविष्कालीन भारत तैयार कर रहे हैं । भारत के विकास में भारतीयता की संस्कृति की पहचान रहनी जरूरी है।

उन्होंने कहा कि 1940 से पहले सभी राजनीतिक दल राष्ट्रीयता की भावना से ही आंदोलनरत थे। स्वतंत्र होने के बाद हम अलग-अलग राजनीतिक विचारों के आधार पर बंट गये। रूढ़ियों और कुरीतियों से मुक्त एकात्म निर्भय स्वाभिमानी भारत की कल्पना रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने की थी। गांधी जी ने भी सात पापों से मुक्त भारत की कल्पना की थी। संघ के भविष्य के भारत की कल्पना किसी से अलग नहीं है। सबके शब्द अलग हैं लेकिन भाव एक हैं।

उन्होंने आगे कहा कि 70 साल पहले तक सबकी सहमति थी लेकिन अब तक साकार क्यों नहीं हुई। इस्राइल समेत कई देश हमारे साथ चले, हमसे आगे निकल गए मुठ्ठी भर यहूदियों ने रेगिस्तान को नंदन वन बना दिया। हम बार-बार गुलाम होते रहे, इसलिए बार बार स्वतंत्र होते रहे। मुट्ठी भर लोग आते हैं और हमे गुलाम बनाते हैं। ये इसलिए कि हमारी कुछ कमियां है। हमें उसका मंथन करना होगा।

कहा जाता है कि हम बार-बार स्वतंत्र होते रहे, लेकिन सवाल ये है कि हम बार बार गुलाम ही क्यों होते रहे? भारत श्रेष्ठ भूमि है और हम भारतवासी पराक्रमी वीर लोग हैं फिर कोई बार बार इस देश को गुलाम कैसे बना लेता है ? वो कमी भी हमारे बीच है हमें उसका मंथन करना होगा।

जिसके पूर्वज हिन्दू हैं वो हिन्दू है। सभी जातियों, भाषाओं, प्रान्तों को आगे बढ़ाते हुये राष्ट्र की एकता के लिए काम करते रहना है।

RSS के बारे में भ्रम फैलाया जाता है। जबकि RSS का एक ही उद्देश्य है “मनुष्य का निर्माण”। समस्या ये है कि लोग संघ को नहीं देखते समझते बल्कि स्वंय सेवकों को देखकर संघ का परिचय समझते हैं। स्वयं सेवक अपने कई उपक्रमों से जुड़े हैं। उनकी अपना अलग अलग व्यवहार हो सकता है।

आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि भारत की पहचान में बाधा न बनें। 130 करोड़ लोग हिन्दू है। हम किसी को बदलने की बात नहीं कर रहे हैं। पर भूत में जो लोग हिन्दू नहीं होना चाहते थे, वो लोग ही राष्ट्र से अलग हो गए। संघ मनुष्य निर्माण करता है। संघ के लोग राजनीति से लेकर संस्कार तक हैं। संघ के पास कोई रिमोट कंट्रोल नहीं है। संघ का कोई एजेंडा नहीं है। भारत तो संविधान से चलता है। हम संविधान का सम्मान करते हैं। वह सबकी सहमति है।

By vandna

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